Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay (ધોરણ 8 હિન્દી અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

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Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay. ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 2 એકમ 4 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય. ધોરણ 8 હિન્દી અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 8

विषय : हिन्दी

एकम : 4. कर्मयोगी लालबहादुर शास्त्री

सत्र : द्वितीय

अभ्यास

प्रश्न 1. कथनों का आशय स्पष्ट कीजिए :

(1) “शास्त्री जी को निष्काम कर्मयोगी कहना अधिक उचित है।”

उत्तर : शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था। बिना किसी फल की आशा के वे संपूर्ण भाव से कर्म में लगे रहते थे। जब भी उन्हें अपने कर्म का फल पाने के अवसर मिले, उन्होंने उनकी उपेक्षा की। फल पाने के लालच से उन्होंने कभी कोई काम नहीं किया। शास्त्री जी के इस स्वभाव को देखते हुए उन्हें केवल ‘कर्मयोगी’ कहना पर्याप्त नहीं है। उन्हें निष्काम कर्मयोगी ही कहना अधिक उचित है।

(2) “शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू के अधिक करीब था।”

उत्तर : गाँधीजी देश के बहुत बड़े नेता थे। फिर भी उनमें अद्भुत विनम्रता, सादगी और सरलता थी। इन गुणों ने उन्हें अधिक महान और लोकप्रिय बना दिया था। गाँधीजी के ये गुण लालबहादुर शास्त्री में भी थे। इसीलिए शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू से अधिक करीब था।

(3) “शास्त्री जी का संपूर्ण जीवन श्रम, सेवा, सादगी और समर्पण का अनुपम उदाहरण है।

उत्तर : शास्त्री जी कर्म को ईश्वर मानकर उसकी पूजा के रूप में श्रम करते थे। देश और समाज की सेवा में ही उन्हें जीवन की सार्थकता लगती थी। उन्हें सादा भोजन और सादा पहनावा ही पसंद था। उन्होंने जो कुछ किया पूरी निष्ठा और लगन से किया। उनकी ये विशेषताएँ बहुत कम लोगों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 2. अगर महात्मा गाँधी आपके स्वप्न में आएँ तो आप उनसे कौन-कौन-से प्रश्न पूछेगे? और महात्मा गाँधी क्या-क्या उत्तर देंगे? सोचिए और बताइए।

उत्तर : अगर महात्मा गाँधी मेरे स्वप्न में आएँ तो मैं उनसे निम्नलिखित प्रश्न पूछूगा और बापू उनके निम्नलिखित उत्तर देंगे।

मैं : बापूजी, सत्य क्या है?

गाँधीजी : जिसका नाश कभी नहीं होता, जो अनंत और सदा भरोसेलायक है, वही सत्य है।

मैं : बापूजी, क्या जीवन में पूरी तरह अहिंसक बनना संभव है?

गाँधीजी : जहाँ तक हो सके वहाँ तक किसी जीव को आघात नहीं पहुँचाना चाहिए।

मैं : बापूजी, आपने अपने व्यस्त जीवन में से अपनी आत्मकथा लिखने का समय कैसे निकाला?

गाँधीजी : मुझे कई बार लंबी-लंबी जेलयात्राएँ करनी पड़ती थीं। उनका उपयोग मैं आत्मकथा लिखने में करता था। आत्मकथा का अधिकांश भाग जेल में ही लिखा गया।

प्रश्न 3. संवाद को आगे बढ़ाइए : (जिसमें कम-से-कम आठ से दस प्रश्न और जवाब हों।)

रिया : गाँधीजी का जन्म कब हुआ था?

सुनिल : गाँधीजी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था।

रिया : गाँधीजी ने उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की थी?

सुनिल : गाँधीजी ने इंग्लैंड से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।

रिया : गाँधीजी दक्षिण अफ्रीका क्यों गए थे?

सुनिल : गाँधीजी वकील के रूप में एक मुस्लिम व्यापारी का मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए थे।

रिया : दक्षिण अफ्रीका में रहकर गाँधीजी ने किसका विरोध किया?

सुनिल : दक्षिण अफ्रीका में रहकर गाँधीजी ने वहाँ की सरकार की रंगभेद की नीति का विरोध किया।

रिया : दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटकर गाँधीजी ने क्या किया?

सुनिल : दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटकर गाँधीजी ने यहाँ चल रहे स्वतंत्रता- आंदोलन को आगे बढ़ाया।

रिया : गाँधीजी ने राजनीति में अपना गुरु किसे बनाया?

सुनिल : गाँधीजी ने राजनीति में अपना गुरु गोपालकृष्ण गोखले को बनाया।

रिया : गाँधीजी ने नमक सत्याग्रह कब किया?

सुनिल : गाँधीजी ने सन् 1930 में नमक सत्याग्रह किया।

रिया : गाँधीजी ने चरखे को क्यों महत्त्व दिया?

सुनिल : गाँधीजी ने देश की गरीबी दूर करने के उद्देश्य से चरखे को महत्त्व दिया।

रिया : सन् 1942 में गाँधीजी ने कौन-सा आंदोलन किया?

सुनिल : सन् 1942 में गाँधीजी ने ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ का आंदोलन किया।

रिया : गाँधीजी की हत्या कब और कहाँ हुई?

सुनिल : गाँधीजी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को राजधानी दिल्ली में हुई।

रिया : गाँधीजी की समाधि कहाँ है? वह किस नाम से प्रसिद्ध है?

सुनिल : गाँधीजी की समाधि दिल्ली में है। वह ‘राजघाट’ के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित परिच्छेद का शुद्ध रूप से अनुलेखन कीजिए :

कोलकाता में हमारा घर एक शांत जगह पर है। हमारे बगीचे की दीवार के उस तरफ एक सँकरी सड़क है। यह सँकरी सड़क वन प्रांत पर जाकर खत्म होती है। इस सड़क के दोनों और मकान हैं और अधिक यातायात न होने से यह बहुत ही शांत रहती है। सारे दिन इसके आसपास गिलहरियाँ एक-दूसरे का पीछा करती हैं। हमारे आस-पास अनेक प्रकार के पक्षी दिखाई पड़ते हैं। सारा दिन हवा में पक्षियों का संगीत तैरता रहता है।

उत्तर : वर्तनी, विरामचिहन आदि का ध्यान रखकर सुवाच्य एवं सुंदर अक्षी में इस परिच्छेद का अनुलेखन विद्यार्थी अपनी कॉपी में करें ।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(1) शास्त्री जी ने देश की किस आकांक्षा को पूरा किया? कैसे?

उत्तर : प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू एक समृद्ध राजनीतिक विरासत छोड़कर गए थे। उनकी मृत्यु के बाद उसे कुशलतापूर्वक सँभालकर शास्त्री जी ने देश की आकांक्षा पूरी की। शास्त्री जी का चरित्र निर्मल था। उनमें अद्भुत संकल्पशक्ति थी। राष्ट्र को लाभ पहुँचाना उनके हर कर्म का एकमात्र उद्देश्य रहता था। उनके इन्हीं गुणों के बल पर वे नेहरू जी की विरासत को सँभालने और उसे आगे बढ़ाने का कठिन काम पूरा कर सके।

(2) लालबहादुर शास्त्री पर गाँधीजी के आदर्शों का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर : लालबहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था और उसीमें उनकी परवरिश भी हुई। प्रधानमंत्री जैसे ऊँचे पद पर पहुँचने पर भी वे सामान्य ही बने रहे। विनम्रता, सरलता, सादगी और जनसेवा की भावना उनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग बन गई थी। ये सारे गुण महात्मा गाँधी के थे, जो शास्त्री जी में अपने आप आ गए। गाँधीजी की तरह उन्होंने अछूतोद्धार कार्यक्रम भी चलाया। इस प्रकार लालबहादुर शास्त्री पर गाँधीजी के आदर्शों का गहरा प्रभाव पड़ा।

(3) शास्त्री जी के संसदीय जीवन की शुरुआत कैसे हुई?

उत्तर : शास्त्री जी में कार्य के प्रति गहरी निष्ठा थी। वे मेहनत करने की अदम्य क्षमता भी रखते थे। अपने इन्हीं गुणों के कारण सन् 1937 में वे संयुक्त प्रांत की व्यवस्थापिका सभा के लिए निर्वाचित हुए। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद कई बार वे संसद के लिए चुने गए। परंतु उनके संसदीय जीवन की वास्तविक शुरुआत सन् 1937 के निर्वाचन से ही हुई।

(4) छात्रों के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने कौन-से विचार व्यक्त किए?

उत्तर : अलीगढ़ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने छात्रों से कहा था कि भविष्य में आप कुछ भी बनें, लेकिन सबसे पहले आप इस देश के नागरिक हैं। देश का संविधान आपको कुछ अधिकार देता है, साथ ही आप पर कुछ कर्तव्यों का भार भी डालता है। देश में प्रजातंत्र होने के कारण प्रत्येक नागरिक को निजी स्वतंत्रता भी मिली है। इस स्वतंत्रता का उपयोग हमें समाज के हित में करना चाहिए। इस प्रकार छात्रों के दीक्षांत समारोह में शास्त्री जी ने संविधान द्वारा नागरिकों को मिली स्वतंत्रता के सदुपयोग के बारे में अपने विचार प्रकट किए थे।

प्रश्न 2. परिच्छेद में रेखांकित शब्दों के अर्थ शब्दकोश में से ढूँढ़कर उन्हें शब्दकोश के क्रम में लिखिए :

विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। विद्यार्थी काल में मानव में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही संस्कार अमिट रहते हैं। इसीलिए यही काल आधारशिला कहा गया है। यदि यह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुदृढ़ और सुखी बन जाता है। यदि इस काल में बालक कष्ट सहन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है, जिस वृक्ष को प्रारंभ सुंदर सिंचन और खाद मिल जाती है, वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इस प्रकार विद्यार्थी काल में जो बालक श्रम, अनुशासन, संयम एवं नियमन के साँचे में ढल जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है।

उत्तर :

रीढ़ – मेरुदंड

अमिट – अटल

आधारशिला – नींव

खाद – जमीन का उपजाऊपन बढ़ानेवाला पदार्थ

पल्लवित – विकसित, जिसमें पल्लव लगे हों

सौरभ – सुगंध

सभ्य – शिष्ट

शब्दों के अर्थ का शब्दकोश क्रम : अटल, जमीन का उपजाऊपन बढ़ानेवाला पदार्थ, नींव, मेरुदंड, विकसित, शिष्ट, सुगंध ।

प्रश्न 3. इस इकाई से हम लालबहादुर जी के जीवन में से कौन-कौन-से सद्गुण ग्रहण कर सकते हैं?

उत्तर : लालबहादुर जी छोटे कद के बड़े व्यक्ति थे। उनके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना कर्तव्य निष्काम भाव से करना चाहिए। अपने उद्देश्य के प्रति हमारी दृढ़ आस्था हो। उसे पाने के लिए हमें कर्म में लगे रहना चाहिए तथा उसके प्रति हमारा संपूर्ण आत्मसमर्पण होना चाहिए। हमारे जीवन में श्रम, सेवा, सरलता, विनम्रता और सादगी हो यह आवश्यक है। हम जो कहें, वही करें और अपने राष्ट्र को लाभ पहुँचाने की वृत्ति रखें। इस प्रकार हम शास्त्री जी के जीवन से अनेक सद्गुण ग्रहण कर सकते हैं।

प्रश्न 4. एक था शेर। उसे अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था। जंगल के प्राणियों ने उसको सबक सिखाने की बात सोची। छोटी चींटी बोली, “मैं शेर का घमंड उतार दूंगी।…….”

(अब आप इस कहानी को आगे बढ़ाइए और बताइए कि चींटी ने शेर का घमंड कैसे उतारा होगा?)

उत्तर : एक था शेर । उसे अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था। जंगल के प्राणियों ने उसे सबक सिखाने की बात सोची। छोटी चींटी बोली, “मैं शेर का घमंड उतार दूंगी।“

चींटी अपने बिल में गई और वहाँ से बहुत-सी चींटियों को ले आई। शेर जहाँ सो रहा था, वहाँ जाकर सभी चींटियाँ शेर के शरीर पर चढ़ गई। वे उसके पेट, पीठ और टाँगों में बुरी तरह काटने लगीं। शेर उन्हें अपने पंजों से मारने की कोशिश करता था, तब वे उसके बालों में छिप जाती थीं। थोड़े ही समय में शेर आकुल-व्याकुल हो गया, उस चींटी ने उससे कहा, “वनराज, इन चींटियों से परेशान होना आपको शोभा नहीं देता। आपको तो अपनी ताकत पर बहुत घमंड है न?” शेर ने “चींटी बहन, मैंने तुमसे हार मान ली। अब मैं कभी अपनी ताकत पर घमंड नहीं करूंगा। मैं शेर हूँ तो तुमने सवाशेर बनकर दिखा दिया।” जंगल के प्राणियों ने खुश होकर चींटी का विजय-जुलूस निकाला।

भाषा -सज्जता

प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में से अव्यय छाँटिए। आपने जो ‘अव्यय’ छाँटे हैं, उनके आधारित अन्य वाक्य बनाइए :

(1) आज मैंने बहुत कम खाना खाया।

उत्तर : आज – क्रियाविशेषण अव्यय।

वाक्य : हम आज घूमने जाएंगे।

(2) अंजली, सोनल के आगे बैठी है।

उत्तर : आगे – संबंधबोधक अव्यय ।

वाक्य : गाँधीजी सबसे आगे चल रहे थे।

(3) मीनाक्षी और सालवी गाँव जा रही हैं।

उत्तर : और – समुच्चयबोधक अव्यय ।

वाक्य : सोनल और मीना सिनेमा देखने गई हैं।

(4) अरे! ये क्या कर रहे हो?

उत्तर : अरे – विस्मयादिबोधक अव्यय ।

वाक्य : अरे! विजय, तुम यहाँ कैसे?

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