Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 2 Swadhyay (ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 1 એકમ 2 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

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Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 2 Swadhyay
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Class 8 Hindi Sem 1 Chapter 2 Swadhyay. ધોરણ 8 સેમ 1 હિન્દી વિષયના એકમ 2 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 1 એકમ 2 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 8

विषय : हिन्दी

एकम : 2. ईदगाह

सत्र : प्रथम

अभ्यास

प्रश्न 1. प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?

उत्तर : हामिद को लोहे की दुकान पर चिमटा देखकर ख्याल आया कि दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय उसकी उँगलियाँ जल जाती हैं। चिमटा ले जाने पर वे जरूर प्रसन्न होंगी। चिमटा होने पर उसकी उँगलियाँ नहीं जलेंगी और घर में एक काम की चीज भी हो जाएगी। खिलौने और मिठाइयाँ खरीदने में तो पैसों की बरबादी ही है। ऐसा सोचकर हामिद ने और कोई चीज न खरीदकर चिमटा ही खरीदा।

(2) चिमटा खरीदने के लिए हामिद कौन-से कारण बताता है?

उत्तर : हामिद ने बड़े गर्व के साथ अपने साथियों को बताया कि चिमटा सबसे बड़ा खिलौना है। इसे कंधे पर रखें तो यह बंदूक हो जाएगा। हाथ में लेने पर फकीरों का चिमटा हो जाएगा। चिमटे से मंजीरे का काम भी लिया जा सकता है। यदि वह एक चिमटा जमा दे तो सभी के खिलौनों की जान निकल जाए। उसका चिमटा तो बहादुर शेर है। वह आग- पानी में, आँधी-तूफान में बराबर डटा रहेगा। इस प्रकार हामिद ने चिमटा खरीदने के पीछे कई कारण बताए और उसकी सर्वोपरिता सिद्ध की।

(3) बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में क्यों बदल गया?

उत्तर : हामिद के चिमटा लाने पर अम्मा को दुःख हुआ। उसे हामिद की नासमझी पर क्रोध भी आया । हामिद ने दादी से कहा कि रोटियाँ पकाते समय तुम्हारी उँगलियाँ जल जाती थीं, इसलिए मैं चिमटा लाया हूँ। यह सुनकर बूढ़ी अम्मा का क्रोध स्नेह में बदल गया। हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर वह न्यौछावर हो गई।

(4) अब आप चिमटे के प्रयोग की तरह रूमाल के विविध प्रयोग बताइए ।

उत्तर : रूमाल का उपयोग हाथ-मुँह और पसीना पोंछने में किया जाता है। उसके अन्य उपयोग भी हैं, जैसे तेज धूप में उसे सिर पर बाँध सकते हैं। हल्की बारिश में भी वह कुछ हद तक सिर को भीगने से बचा सकता है। थैली न हो तो वह शाक-सब्जी आदि बाँधने के काम आ सकता है। रूमाल से जादू के कुछ प्रयोग भी किए जाते हैं।

प्रश्न 2. इस कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ ही क्यों रखा गया? इसके अलावा आप कौन-सा शीर्षक देना चाहेंगे? क्यों?

उत्तर : ईद की नमाज पढ़ने के लिए गाँव के लोग ईदगाह जाने की तैयारी करते हैं। ईदगाह जाने का सबसे अधिक उत्साह लड़कों में है। हामिद उन्हीं में से एक है। ईदगाह में नमाजियों का भ्रातृभाव देखते ही बनता है। नमाज के बाद लड़के ईदगाह के मेले में जाते हैं। मेले में बालकों की विविध मनोवृत्तियों के दर्शन होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र हामिद के चरित्र की अनेक विशेषताएँ ईदगाह के मेले में ही प्रकट होती हैं। इस प्रकार कहानी की मुख्य प्रवृत्तियों का केंद्र ईदगाह होने से इस कहानी का शीर्षक ‘ईदगाह’ रखा गया है।

‘ईदगाह’ के अलावा मैं कहानी के ये अन्य शीर्षक देना चाहूँगा : (1) ‘हामिद ईदगाह के मेले में’, (2) ‘हामिद और उसका चिमटा’ आदि। कहानी का उद्देश्य और आदर्श इन शीर्षकों से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

उत्तर : हमारे इतिहास और पुराणों में परोपकार के अनेक उदाहरण मिलते हैं। दधीचि ने मानवकल्याण तथा असुरों के संहार के लिए अपना शरीर त्याग दिया। राजा शिबि ने कबूतर के प्राण की रक्षा के लिए अंग दान किए। महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले अपने रसोइए जगन्नाथ के प्राणों की रक्षा धन देकर की। वर्तमान में भी अनेक सामाजिक संस्थाएँ परोपकार के लिए अपना धन और समय भारतीय समाज को दे रही हैं। भारतीय समाज में युगों से परोपकार की सुरसरिता प्रवाहित होती आई है। यहाँ ऋषि-मुनियों ने यही सीख दी है कि निराश्रितों को आसरा दो। दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक और आर्थिक मदद करो। भूखों को भोजन कराओ। विद्वान हो तो विद्या का प्रचार कर समाज का उद्धार करो। यहाँ सदा सबकी भलाई में ही अपनी भलाई मानी जाती रही है। संसार के सभी धर्मों का मूल परोपकार है। किसी भी संत-महात्मा ने इसके बिना मनुष्य जीवन को सार्थक नहीं माना। लोग परोपकार के लिए ही औषधालय, गौशालाएँ और धर्मशालाएँ बनवाते हैं। सभी अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें तो समाज एवं देश की उन्नति होती रहेगी तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना फैलेगी।

(1) ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कौन-कौन-से उदाहरण मिलते हैं?

उत्तर : ऐतिहासिक ग्रंथों में परोपकार के कई उदाहरण मिलते हैं: (1) महर्षि दधीचि ने मानवकल्याण तथा असुरों के विनाश के लिए अपना शरीर त्याग दिया था। (2) राजा शिबि ने अपने अंग का दान देकर एक कबूतर के प्राण बचाए थे। (3) महर्षि दयानंद ने विष मिलाकर प्राण लेनेवाले रसोइए जगन्नाथ की जान धन देकर बचाई थी।

(2) ऋषि-मुनियों ने हमें क्या सीख दी है?

उत्तर : ऋषि-मुनियों ने हमें सीख दी है कि निराश्रितों (बेघरों) को आश्रय दो, दीन-दुखियों और वृद्धों की शारीरिक तथा आर्थिक मदद करो, भूखों को भोजन कराओ और यदि आप विद्वान हों तो विद्या का प्रचार करो ।

(3) देश एवं समाज की उन्नति किस प्रकार होगी?

उत्तर : यदि सभी लोग अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार परोपकार करते रहें, तो देश और समाज की उन्नति होगी।

(4) विलोम शब्द लिखिए : आश्रित, अवनति

उत्तर :

आश्रित x अनाश्रित

अवनति x उन्नति ।

(5) परिच्छेद के आधार पर अपने साथियों से पूछने के लिए तीन प्रश्न बनाइए।

उत्तर : (1) भारतीय समाज में युगों से क्या प्रवाहित होती रही है? (परोपकार की गंगा) (2) सभी धर्मों का मूल क्या है? (3) परोपकार के लिए लोग क्या-क्या करते हैं?

(6) इस परिच्छेद को उचित शीर्षक दीजिए।

उत्तर : परोपकार की महिमा ।

प्रश्न 4. तुम भी हामिद की तरह किसी-न-किसी मेले में गए होगे। वहाँ तुमने क्या-क्या खरीदा और क्यों?

उत्तर : दिसंबर के आखिरी हफ्ते में हमारे यहाँ से कुछ दूर ‘भवानी मंदिर’ के पास मेला लगता है। इसे ‘भवानी मेला’ कहते हैं। पिछली बार मैं भी अपने मित्र के साथ इस मेले में गया था। मेले में तरह-तरह की चीजों की दुकानें थीं। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या लूँ, क्या न लूँ। मेरे पास ज्यादा रुपये नहीं थे। इसलिए सोचा कि जरूरत की चीजें ही लूँ।

मेरे पास लिखने के लिए अच्छा पेन नहीं था। दुकानदार के भरोसा दिलाने पर मैंने एक पेन खरीदा। ठंडी के दिनों में दादाजी के कानों में ठंडी हवा लगती थी। उनके लिए मैंने गुलूबंद खरीदा। छोटी बहन के लिए गुड़िया खरीदी। मेरे मित्र ने भी अपनी जरूरत की चीजें खरीदीं ।

शाम को हम घर लौटे। गुलूबंद पाकर दादाजी खुश हुए। गुड़िया पाकर छोटी बहन खुशी से उछल पड़ी। मेरा पेन देखकर पिताजी खुश हुए। बोले, “काम की चीजें खरीदकर तुमने अपनी समझदारी दिखाई है।”

प्रश्न 5. यदि तुम्हें मेले से अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो क्या खरीदोगे और क्यों?

उत्तर : यदि मुझे मेले में अपनी दादी के लिए कुछ खरीदना हो तो मैं चश्मा रखने का बॉक्स खरीदूंगा। दादी ने कुछ दिन पहले ही नया चश्मा बनवाया है। चश्मे के साथ बॉक्स मिला था, पर एक दिन बॉक्स दादी के हाथ से गिरकर टूट गया। अब दादी अपना चश्मा सुरक्षित रखने के लिए बहुत चिंतित रहती थी। पिताजी से कई बार बॉक्स लाने के लिए वे कह चुकी थी, पर वे भूल जाते या व्यस्तता के कारण नहीं ला पाते। इसलिए मेले में यदि अच्छा बॉक्स (चश्माघर) मिलेगा तो मैं सबसे पहले वही खरीदूंगा। अपनी जरूरत की चीज पाकर दादी बेहद खुश होंगी। और मुझे दिल खोलकर आशीर्वाद देंगी।

स्वाध्याय

(1) रोजे के दिन मुसलमान क्या करते हैं?

उत्तर : सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी न खाने-पीने को अर्थात् उपवास को ‘रोजा’ कहते हैं। ‘रोजा’ मुसलमानों का एक मजहबी फर्ज है।

(2) रमजान ईद के दिन मुसलमान लोग कहाँ जाते हैं?

उत्तर : रमजान ईद के दिन मुसलमान नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाते हैं।

(3) दुकानों में कौन-कौन-से खिलौने मिल रहे थे?

उत्तर : दुकानों में सिपाही, गुजरिया, राजा, वकील, भिश्ती, धोबिन आदि मिट्टी के खिलौने मिल रहे थे ।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी और विरोधी शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए :

उत्तर :

(1) शीतल

समानार्थी = ठंडा

विरोधी = उष्ण

(2) प्रसन्न

समानार्थी = खुश

विरोधी = खिन्न

(3) गरीब

समानार्थी = दीन

विरोधी = अमीर

(4) अंधकार

समानार्थी = अँधेरा

विरोधी = प्रकाश

(5) स्नेह

समानार्थी = प्रेम

विरोधी = घृणा

(6) पुरानी

समानार्थी = प्राचीन

विरोधी = नयी

प्रश्न 3. मुहावरों का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए ।

(1) बेड़ा पार लगाना = संकट से बचाना

वाक्य : भगवान ही गरीबों का बेड़ा पार लगाता है ।

(2) बाल बाँका न होना = जरा भी नुकसान न होना

वाक्य : डाकुओं ने गोलियाँ चलाई थीं पर किसी का बाल बाँका न हुआ।

(3) छाती पीट लेना = दुःख प्रकट करना

वाक्य : बेटा गुस्से में आकर चला गया तो माँ ने छाती पीट ली।

(4) दिल चीरना = बहुत दुःख पहुँचना

वाक्य : बेटे की बुरी करतूतों ने माँ का दिल चीर दिया।

प्रश्न 4. रूपरेखा के आधार पर कहानी पूर्ण कीजिए :

एक नगर में दो स्त्रियाँ – एक ही बालक के लिए दावेदार – आपस में तकरार – मामला न्यायाधीश के समक्ष – दोनों की बातें सुनना – न्याय करना – बालक के दो टुकड़े करके बाँट लो – एक स्त्री मौन – दूसरी का रोकर कहना – बच्चे को न काटो – उसे ही दे दो – न्यायाधीश का फैसला – रोती हुई स्त्री को बालक सौंपना।

उत्तर :

सच्ची माँ अथवा न्यायाधीश का फैसला

किसी नगर में दो स्त्रियाँ पास-पड़ोस में रहती थी। उनमें एक स्त्री बड़ी चालाक और झगड़ालू थी। उसके कोई संतान नहीं थी। दूसरी स्त्री बड़ी सरल और मिलनसार थी। उसके एक बेटा था।

एक बार संतानवाली स्त्री अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर बाहर गई हुई थी। मौका पाकर नि:संतान स्त्री बच्चे को पालने से उठाकर ले गई। फिर वह फौरन, बाहर चली गई।

बच्चे के गुम हो जाने पर बच्चे की माँ बहुत दुःखी हुई। उसने किसी तरह अपनी चोर पड़ोसिन का पता लगाया और उसके पास जाकर अपना बच्चा माँगा। तब उसने कहा, “यह मेरा बेटा है। मैं न दूंगी, जो चाहे सो कर ले।” दोनों में खूब झगड़ा हुआ। तब लोगों ने उन्हें न्यायालय में जाकर झगड़े का निपटारा करने की सलाह दी।

आखिर दोनों स्त्रियाँ न्यायाधीश के पास पहुँचीं। बच्चे पर दोनों का एक-सा दावा देखकर न्यायाधीश ने अपने कर्मचारी को आदेश दिया, “इस बच्चे के दो बराबर टुकड़े करो और एक-एक दोनों स्त्रियों को दे दो।”

न्यायाधीश का फैसला सुनकर निःसंतान स्त्री तो चुप रही, पर बच्चे की माँ रोकर कहने लगी, “हुजूर आप बच्चे को मारिए मत। चाहे तो उसे ही सोंप दीजिए। इस तरह मेरा बेटा जीवित तो रहेगा।”

चतुर न्यायाधीश फौरन समझ गया कि दोनों में सच्ची माँ कौन है। उसने सच्ची माता को उसका बच्चा सौंप देने और निःसंतान स्त्री को हिरासत में लेने का हुक्म दिया।

सीख : आखिर सत्य की ही विजय होती है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित अपूर्ण कहानी को अपने शब्दों में पूर्ण कीजिए :

मौसम में ठंडक बढ़ने लगी थी। माँ सोचने लगी कि इस साल ढेर सारे स्वेटर बनाकर बेचने हैं, जिससे अंकित की दसवीं कक्षा की फीस और पढ़ाई का खर्च निकाला जा सके। अंकित के पापा नहीं थे। एक बड़ी बहन थी। अंकित अपने घर में समृद्धि लाने के लिए प्रतिदिन सोचता रहता है….

उत्तर :

गर्मी की छुट्टियाँ थीं। अंकित अपने मामा के घर मुंबई आया हुआ था। उन दिनों टीवी पर ‘कौन बनेगा करोडपति?’ कार्यक्रम चल रहा था। मामा के प्रोत्साहन और सहायता से अंकित ने ‘के. बी. सी’ के संचालकों से संपर्क किया। भाग्य ने उसका साथ दिया और एक दिन उसे कार्यक्रम की ‘होट सीट’ पर बैठने का मौका मिल गया!

अंकित के सामने बैठे थे बोलीवूड के महानायक अमिताभ बच्चन! उन्होंने दर्शकों को अंकित का परिचय दिया। फिर शुरू हुई प्रश्नमालिका । अंकित खुश था और घबरा भी रहा था! लेकिन वह स्वस्थ रहा।

अंकित ने उनके प्रश्नों के सही उत्तर दिए। भाग्य ने उसका साथ दिया। वह पच्चीस लाख रुपये तक पहुँच गया। अगले प्रश्न का उत्तर उसे न सूझा। उसकी चारों लाइफ लाइनें खत्म हो चुकी थीं। अंकित ने गेम से ‘क्वीट’ करने का निश्चय किया। अमिताभ बच्चन के हाथों पच्चीस लाख का चेक पाकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।

अब अंकित की माँ को ढेर सारे स्वेटर बनाने और अंकित की पढ़ाई का खर्च निकालने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी।

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