Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay (ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 2 એકમ 4 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay
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Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay

Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 4 Swadhyay. ધોરણ 7 સેમ 2 હિન્દી વિષયના એકમ 4 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 2 એકમ 4 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 7

विषय : हिन्दी

एकम : 4. देश के नाम संदेश

सत्र : द्वितीय

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :

(1) यह पत्र किसने किसको लिखा है?

उत्तर : यह पत्र किरण ने अपने मित्र हर्ष को लिखा है।

(2) पत्र लिखनेवाले का पता क्या है?

उत्तर : पत्र लिखनेवाले का पता :

मातृछाया, ऊँची शेरी,

गाँव – मेसपुरा,

तहसील – भाभर,

जिला- बनासकांठा.

(3) पत्र में क्या वर्णन किया है?

उत्तर : पत्र में भारतीय नागरिकों की अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही और सरकार के प्रति उनके शिकायती रवैए का वर्णन किया गया है।

(4) पत्र के अंत में किरण ने हर्ष के परिवारजनों को क्या कहा है?

उत्तर : पत्र के अंत में किरण ने हर्ष के परिवारजनों को प्रणाम कहा है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :

(1) हम दूसरे देशों में उनके कायदे-कानून का पालन करते हैं, लेकिन अपने देश में क्यों नहीं?

उत्तर : हम में अपने राष्ट्र के प्रति गर्व और सम्मान की पर्याप्त भावना नहीं है। हम अपने देश की व्यवस्था को उचित महत्त्व नहीं देते। हमारे यहाँ का शासन भी सख्ती से काम नहीं लेता। दूसरे देश अपने देश की व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं। वे उसमें गर्व महसूस करते हैं। हम भी उनसे प्रभावित होते हैं। इसलिए हम दूसरे देशों में उनके कायदे-कानून का पालन करते हैं, लेकिन अपने देश में नहीं करते।

(2) हमारे देश की स्वच्छता की जिम्मेदारी किसकी है?

उत्तर : हमारे देश की स्वच्छता की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन अर्थात् ग्रामपंचायतों, नगरपालिकाओं एवं महानगरपालिकाओं की है।

(3) हमारे देश के विकास में कौन-कौन-सी समस्याएँ बाधक हैं?

उत्तर : हमारे देशवासी अपने यहाँ के कायदे-कानूनों का चुस्ती से पालन नहीं करते। लोग हर खराबी के लिए सरकार को दोष देते हैं। वे अपने राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने में रुचि नहीं लेते। अधिकारी लोग भ्रष्टाचार करने में नहीं हिचकते। ये सारी समस्याएँ हमारे देश के विकास में बाधक हैं।

(4) देश के प्रति हमारा क्या फर्ज है?

उत्तर : देश के प्रति हमारा फर्ज है कि हम अपने यहाँ के कायदे-कानून का पालन करें। देश की व्यवस्था हम ऐसी बनाएँ जिस पर हमें गर्व हो। हम सरकार और स्थानीय प्रशासन को उनके कार्यों में सहयोग दें। हम ऐसा कोई भी कार्य न करें, जिससे देश की प्रतिष्ठा पर आँच आए।

प्रश्न 3. शब्दों को उचित क्रम में रखकर अर्थपूर्ण वाक्य बनाइए :

(1) में – सफाई – खुदाई – है।

उत्तर : सफाई में खुदाई है।

(2) मेरा-महान-भारत ।

उत्तर : मेरा भारत महान।

(3) लेना – और – दहेज-पाप-देना-है।

उत्तर : दहेज लेना और देना पाप है।

(4) आदर्श-भारत को-आओ – बनाएँ – मिलकर – राष्ट्र।

उत्तर : आओ, मिलकर भारत को आदर्श राष्ट्र बनाएँ।

प्रश्न 4. ऐसे व्यवहार की चर्चा कीजिए जिससे हम देश में अव्यवस्था खड़ी करते हैं एवं देश के विकास में बाधा डालते हैं।

उत्तर : हमारे देश में कभी-कभी सांप्रदायिक दंगे भड़क उठते हैं। इसी तरह कभी-कभी भाषावाद भी हिंसक बन जाता हैं। ऐसे मौकों पर कट्टरवादी लोग तोड़-फोड़ करते हैं। सरकारी संपत्ति की बहुत हानि होती है। ऐसा वर्ताव देश में अव्यवस्था खड़ी करता है। अशांति के कारण देश के विकास में बाधा पड़ती है।

प्रश्न 5. ‘दहेज एक दूषण’ इस विषय पर कारण सहित अपना मत दीजिए।

उत्तर : दहेज की प्रथा समाज के लिए अभिशाप बन गई है। दहेज के कारण योग्य, शिक्षित कन्याओं का उचित समय पर विवाह नहीं हो पाता। यदि विवाह हो भी जाता है, तो दहेज न लाने अथवा कम लाने कारण नई वधू को ताने और व्यंग्य सुनने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, उसे शारीरिक और मानसिक यातना भी दी जाती है। कुछ दहेज-लोभी तो वधू को आत्महत्या के लिए मजबूर कर देते हैं या जला भी देते हैं। जिस दहेज के कारण ऐसे दर्दनाक और शर्मनाक कांड होते हों, वह सचमुच समाज का दूषण है। उसका कभी समर्थन नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6. हम स्वयं कैसे अपने कर्तव्य का पालन करके आदर्श नागरिक बन सकते हैं एवं भारत को आदर्श राष्ट्र बनाने में योगदान दे सकते हैं, इस विषय पर दिए गए प्रारूप के आधार पर अपने मित्र को पत्र लिखकर अपने विचार बताएँ।

उत्तर :

आदर्श सोसायटी,

अठवाँ लाइन्स,

सूरत।

16 जुलाई, 2012

प्रिय मित्र नीलेश,

सप्रेम नमस्ते

तुम्हारा पत्र मिला। तुमने आदर्श देशप्रेमी नागरिक के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की है। इस बारे में मैं इस पत्र में अपने विचार प्रकट कर रहा हूँ।

आदर्श नागरिक को अपने देश के कायदे-कानून का पालन करना चाहिए। अपने यहाँ की पंचायत या नगरपालिका को उसके कामों में सहयोग देना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर गंदगी नहीं करनी चाहिए। देश के सभी धर्मों और भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। चुनाव के समय अपने आसपास के नागरिकों को मतदान के लिए प्रेरित करना चाहिए। बाढ़, भूकंप, अकाल के समय पीड़ित लोगों की हर संभव सहायता करनी चाहिए। सरकार की किसी नीति या कानून का विरोध करना हो तो शांतिपूर्वक करना चाहिए। दहेज जैसे रिवाजों का विरोध करना चाहिए। मेरे विचार से इस तरह का आचरण कर हम आदर्श नागरिक बन सकते हैं और देश के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

मेरी माताजी अब बिलकुल स्वस्थ हैं। राजीव भली-भाँति पढ़ाई कर रहा हैं। मुन्नी तुम्हें बहुत याद करती है।

तुम्हारे परिवार में बड़ों को प्रणाम और छोटों को प्यार।

तुम्हारा मित्र,

संजय ठक्कर।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) डॉ. कलाम ने इस ई-मेईल से हमें क्या सीख दी है?

उत्तर : डॉ. कलाम कहते हैं कि हम सरकार चुनने के लिए मतदान करके निश्चिंत न हो जाएँ। हम ऐसा न सोचें की अब हमारी सारी जिम्मेदारियाँ चुनी हुई सरकार उठाएगी। हमारे सारे काम सरकार करेगी। हमें रद्दी कागज भी कूड़ेदान में डालने की तकलीफ नहीं उठानी है। सामाजिक समस्याओं के बारे में भी हम अपना स्वार्थ ही देखते हैं। बाहर से दहेज का विरोध कर चुपके से दहेज ले लेना बहुत ही गलत बात है। इस प्रकार इस ई-मेईल से डॉ. कलाम ने हमें एक सच्चे नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारियाँ निभाने की सीख दी है।

(2) दूसरे देशों में और हमारे देश में हम जो व्यवहार करते हैं, उसमें क्या अंतर है?

उत्तर : दूसरे देशों जाकर हम उनकी व्यवस्था का आदर करते हैं और उसका पालन करते हैं, जबकि अपने देश में हम यहाँ की व्यवस्था की अनदेखी करते हैं। दूसरे देशों में हम उनके स्वच्छता-संबंधी नियमों का पालन करते हैं। गाड़ी उन देशों के नियमों के अनुसार चलाते हैं। उन देशों में बेईमानी करने की हिम्मत नहीं करते। परंतु अपने देश में हम न स्वच्छता का ध्यान रखते हैं, न गाड़ी की गति का और न ईमानदारी का। इस प्रकार दूसरे देशों में और अपने देश में हम जो व्यवहार करते हैं, उसमें बहुत अंतर है।

(3) दूसरे देशों में लोग स्वच्छता के प्रति कैसे जागरूक हैं?

उत्तर : दूसरे देशों में लोग स्वच्छता को बहुत महत्त्व देते हैं। वे सड़कों पर थूकते नहीं है। कागज के टुकड़े यहाँ-वहाँ न फेंककर कूड़ादान में डालते हैं। सिगरेट के टुकड़े सड़क पर नहीं फेंकते। कुत्तों के मालिक अपने कुत्तों को सड़क गंदी नहीं करने देते। समुद्र-तटों पर लोग खाली नारियल इधर-उधर नहीं डालते। वे अपने रेलवे स्टेशनों को साफ-सुथरा रखते हैं। इस प्रकार दूसरे देशों के लोग स्वच्छता के प्रति बहुत जागरूक हैं।

(4) अपने देश की व्यवस्था को हम कैसे सुधार सकते हैं?

उत्तर : अपने देश की व्यवस्था को सुधारना है, तो हमें स्वयं उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अपनी जिम्मेदारी हमें दूसरों पर नहीं डालनी चाहिए। अपने यहाँ की अव्यवस्था से हम भागे नहीं, बल्कि उसे दुरुस्त करने में सरकार को सहयोग दें। इस तरह अपने सकारात्मक योगदान से ही हम अपने देश की व्यवस्था को सुधार सकते हैं।

प्रश्न 2. जीवन में सफाई का महत्त्व समझाते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

9, मानवमंदिर,

आशापुरा रोड,

नडियाद।

25-9-2013

प्रिय मित्र कैलाश,

नमस्ते।

मैं यहाँ कुशलपूर्वक हूँ। परंतु तुम्हारे यहाँ कई तरह की बीमारियाँ फैलने की खबर जानकर दुःख हुआ।

ये बीमारियाँ गंदगी से फैलती हैं। हमारे यहाँ के लोग स्वच्छता का महत्त्व पूरी तरह नहीं जानते। वास्तव में स्वच्छता आरोग्य की माता है। जहाँ साफ-सफाई रहती है, वहाँ रोगों को पैदा करनेवाले मक्खी-मच्छर जैसे जीव-जंतु नहीं होते। शरीर को साफ-सुथरा रखने से खाज-खुजली जैसी त्वचा की बीमारियाँ नहीं होतीं। सिर के बालों को साफ रखने से उनमें जूं नहीं पड़ती। दाँतों को स्वच्छ रखने से पायरिया नहीं होता। इस प्रकार साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है। कहते हैं जहाँ सफाई रहती है, वहाँ भगवान का वास होता है।

पत्र लिखना। घर के बड़ों को प्रणाम और छोटों को प्यार।

तुम्हारा मित्र,

अतुल शाह।

प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यों के काल पहचानिए :

(1) मैं क्रिकेट खेलता हूँ।

उत्तर : (सामान्य) वर्तमानकाल

(2) मैं कल अंबाजी गया था।

उत्तर : (पूर्ण) भूतकाल

(3) कोई गाना गा रहा हैं।

उत्तर : (अपूर्ण) वर्तमानकाल

(4) आज ठंड ज्यादा होगी।

उत्तर : (सामान्य) भविष्यकाल

(5) कल हम स्कूल से प्रवास जा रहे हैं।

उत्तर : (अपूर्ण) वर्तमानकाल

(6) परसों कश्मीर में हिम वर्षा हुई।

उत्तर : (सामान्य) भूतकाल

प्रश्न 4. काल-परिवर्तन कीजिए :

(1) मैं बाजार गया। (भविष्यकाल)

उत्तर : मैं बाजार जाऊँगा।

(2) मंदिर में पूजा होगी। (भूतकाल)

उत्तर : मंदिर में पूजा हुई।

(3) सिमला में हिमवर्षा हुई। (भविष्यकाल)

उत्तर : सिमला में हिमवर्षा होगी।

(4) मैंने पढ़ाई की। (वर्तमानकाल)

उत्तर : मैं पढ़ाई करता हूँ।

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