Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 3 Swadhyay
Class 7 Hindi Sem 2 Chapter 3 Swadhyay. ધોરણ 7 સેમ 2 હિન્દી વિષયના એકમ 3 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 7 હિન્દી સેમ 2 એકમ 3 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.
कक्षा : 7
विषय : हिन्दी
एकम : 3. सच्चा हीरा
सत्र : द्वितीय
अभ्यास
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दीजिए :
(1) चौथी स्त्री का बेटा सचमुच हीरा था। क्यों?
उत्तर : चौथी स्त्री का बेटा बहुत ही सीधा-सादा और सरल स्वभाव का था। सिर पर पानी से भरा घड़ा उठाए ला रही माँ को उसने अनदेखा नहीं किया। वह माँ के पास गया और घड़े को उसके सिर से उतारकर अपने सिर पर रख लिया। घड़ा लेकर वह घर की तरफ चल पड़ा। इस तरह अपनी माँ के प्रति सच्चा सेवा-भाव दिखाकर उसने खुद को सच्चा हीरा साबित कर दिया।
(2) अपने घर में आप माता-पिता को कौन-कौन-से काम में मदद करते हैं?
उत्तर : मैं माँ के कहने पर बाजार से चीजें खरीद लाता हूँ। इन चीजों में शाक-सब्जी, दवाएँ, फल तथा अन्य वस्तुएँ होती हैं। घर की साफ-सफाई में भी माँ की मदद करता हूँ। पिताजी के लिखे पत्र डाकखाने की पत्र-पेटी में डाल आता हूँ। धोबी के यहाँ से उनके कपड़े ले आता हूँ। उनके कहने के पीने की चीजें लाता हूँ। इस प्रकार घर में मैं अनेक कामों में अपने माता-पिता की मदद करता हूँ।
(3) आदमी ‘सच्चा हीरा’ कैसे बन सकता है?
उत्तर : आदमी में ज्ञान-गुण होना अच्छी बात है। उसका वीर होना भी प्रशंसनीय है। लेकिन यदि उसका ज्ञान आचरण में नहीं उतरता तो वह व्यर्थ है। कोरा ज्ञान किसीके उपयोग में नहीं आता। अपने ज्ञान और गुण को कर्म में उतारकर ही उन्हें सफल बनाया जा सकता है। इस प्रकार कर्म करके, बड़ों की सेवा और जरूरतमंदों की मदद करके ही आदमी ‘सच्चा हीरा’ बन सकता है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के बाद में तुरंत आनेवाले शब्द का अर्थ शब्दकोश में से ढूँढकर लिखिए :
(1) बपौती (2) व्यथा (3) नियति (4) प्रतिभा (5) शौर्य (6) रुचि (7) बाँटना (8) क्षमा (9) उद्यान (10) अमन
उत्तर : (1) बप्पा – पिता (2) व्यथातुर – पीड़ित (3) नियतेंद्रिय-जितेंद्रिय (4) प्रतिभाग – उत्पादनकर (5) शौल्क – शुल्क संबंधी (6) रुचित – मनचाहा (7) बाँटा – हिस्सा (8) क्षमालु – क्षमा करनेवाला (9) उद्यानिकी – बाग-बगीचे लगाने का काम (10) अमनस्क – अनमना
प्रश्न 3. कहानी की चर्चा करके छात्रों से लेखन करवाएँ :
राजा का बीमार पड़ना – वैद्य की असफलता – किसी अनुभवी बूढ़े की सलाह – किसी सुखी मनुष्य का कुर्ता पहनो – राजा का कुर्ता खोजने जाना – मेहनती किसान को देखना-सुख का राज़ समझना।
चर्चा :
शिक्षक – राजा बीमार क्यों पड़ा?
एक छात्र – क्योंकि वह किसी प्रकार का श्रम नहीं करता था।
शिक्षक – वैद्य राजा को स्वस्थ क्यों नहीं कर सका?
दूसरा छात्र – क्योंकि वह राजा की बीमारी का कारण न जान सका।
शिक्षक – किसान क्यों सुखी था?
तीसरा छात्र – किसान मेहनत करता था। अपनी मेहनत की रोटी खाता था। इसलिए वह स्वस्थ और सुखी था।
उत्तर :
सुख का रहस्य अथवा बीमारी का इलाज
चंद्रपुर इलाके के राजा कुंवरसिंहजी बड़े भाग्यवान थे। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी, फिर भी एक बार वे बीमार पड़ गए। कई वैद्यों ने उनका इलाज किया, लेकिन कुंवरसिंहजी को कुछ फायदा नहीं हुआ।
राजा की बीमारी बढ़ती गई। सारे नगर में बात फैल गई। तब एक अनुभवी बूढ़े ने राजा के पास आकर कहा, “महाराज, आप किसी सुखी मनुष्य का कुर्ता पहनिए, अवश्य स्वस्थ हो जाएँगे।
बूढ़े की बात सुनकर राजा ने सोचा, “इतने इलाज किए हैं तो एक और सही।”
राजा कुंवरसिंहजी सुखी मनुष्य की खोज में निकले। बहुत तलाश के बाद वे एक खेत में जा पहुंचे। जेठ की धूप में एक किसान अपने काम में लगा हुआ था। राजा ने उससे पूछा, “क्योंजी, तुम सुखी हो?” किसान ने विनय से कहा, “ईश्वर की कृपा से मुझे कोई दुःख नहीं है।’ यह सुनकर राजा का अंग-अंग पुलकित हो उठा। उस किसान का कुर्ता माँगने के लिए ज्यों ही उन्होंने उसके शरीर की ओर देखा, उन्हें मालूम हुआ कि किसान सिर्फ धोती पहने हुए है और उसकी सारी देह पसीने से तर है।
तुरंत राजा समझ गया कि कठिन श्रम करने के कारण ही यह किसान सुखी है। राजा ने आराम-चैन छोड़कर परिश्रम करने का संकल्प किया। थोड़े ही दिनों में
राजा की बीमारी दूर हो गई।
सीख : श्रम से ही स्वास्थ्य प्राप्त होता है और सच्चा सुख मिलता है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित अपूर्ण कहानी को अपने शब्दों में (मौखिक एवं लिखित) पूर्ण कीजिए :
पुराने जमाने की बात है। कनकपुर देश के दरबारियों की ख्याति देश-विदेश में फैली हुई थी। उनकी बुद्धि की प्रशंसा सुनकर दूसरे देश का दरबारी उनकी परीक्षा लेने के लिए आए।
उसके एक हाथ में असली फूलों की माला और दूसरे हाथ में नकली फूलों की माला थी। उसने दरबारियों से कहा, श्रीमान, क्या आप हाथ लगाए बिना बता सकेंगे कि इनमें से कौन-सी माला असली फूलों की है?”
सभी दरबारी आश्चर्य में पड़ गए। दोनों मालाएँ बिलकुल समान लग रही थीं। विदेश के दरबारी के प्रश्न का उत्तर देना मुश्किल था। पर आखिर एक बुद्धिमान दरबारी खड़ा हुआ…….
उत्तर : उसने कहा, “इसमें कौन-सी बड़ी बात है? इन दोनों मालाओं को सामने के उद्यान के एक पेड़ की डाल पर लटका दिया जाए।”
उस दरबारी की बात मानकर वे मालाएँ पेड़ की डाल पर लटका दी गईं। कुछ ही समय में भन-भन-भन करती हुई मधुमक्खियाँ आईं और एक माला पर बैठ गईं। दूसरी माला के पास एक भी मक्खी नहीं गई।
यह देखकर दरबारी ने कहा, “जिस माला पर मधुमक्खियाँ बैठी, वह असली फूलों की माला है। दूसरी नकली फूलों की माला है।”
उस दरबारी की बुद्धि की सबने प्रशंसा की। दूसरे देश के दरबारी ने भी कनकपुर के दरबारी का लोहा मान लिया। इससे कनकपुर के दरबार की ख्याति और भी बढ़ गईं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कहानी का सारांश लिखिए :
नंदवन में एक छोटा-सा तालाब था। तालाब के शीतल जल में राजहंस रहता था। वह बड़ा सुंदर था। उसी तालाब के पासवाले पेड़ पर दुष्ट कौआ रहता था। वह राजहंस की सुंदरता पर ईर्ष्या करता था।
एक दिन शिकारी थका हुआ तालाब के पास आया। उसने तालाब से पानी पिया और पेड़ के नीचे विश्राम करने लगा। उसे नींद आ गई। कुछ देर बाद शिकारी के मुँह पर धूप आने लगी। राजहंस को दया आ गई। राजहंस ने वृक्ष पर बैठकर अपने पंख फैला दिए, जिससे शिकारी के मुँह पर छाया आ गई। कौए से हँस की भलाई और शिकारी की सुखद नींद देखी नहीं गई। उसने शिकारी को परेशान करने का सोचा, ताकि शिकारी हंस को मार डाले। कौआ उड़ता हुआ शिकारी के पास गया, उसके सिर पर चोंच मारी और उड़कर दूर जा बैठा। शिकारी तुरंत जाग गया
और कुद्ध हो गया। उसने पेड़ पर देखा तो राजहंस पंख फैलाए बैठा था। शिकारी ने सोचा, यह कार्य इसी हंस का है। उसने राजहंस को मारने के लिए बाण चलाया, लेकिन राजहंस उसकी आवाज सुनकर उड़ गया।
उत्तर :
सारांश
एक दिन एक शिकारी एक पेड़ के नीचे सो रहा था। ज्यों ही उसके मुँह पर धूप आने लगी, एक राजहंस ने अपने पंख फैला दिए, ताकि शिकारी के मुँह पर धूप न आए। यह देखकर राजहंस से ईर्ष्या करनेवाला कौआ शिकारी के सिर में चोंच मारकर उड़ गया। शिकारी उठा और गुस्से में आकर बाण चला रहा था कि इसके पहले ही राजहंस उड़ गया। राजहंस को मरवाने की कौए की युक्ति धरी की धरी रह गई।
स्वाध्याय
प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(1) पहली स्त्री ने अपने बेटे की प्रशंसा कैसे की?
उत्तर : पहली स्त्री ने कहा कि मेरा बेटा लाखों में एक है। उसका कंठ बहुत मधुर है। वह बहुत अच्छा गाता है। उसके गीत को सुनकर कोयल और मैना भी चुप हो जाती है। लोग बड़े चाव से उसका गीत सुनते हैं। भगवान सबको मेरे जैसा बेटा दे। इस प्रकार पहली स्त्री ने अपने गायक बेटे की प्रशंसा की।
(2) दूसरी स्त्री ने अपने बेटे की तारीफ़ में क्या कहा?
उत्तर : दूसरी स्त्री ने अपने बेटे की तारीफ़ में कहा कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। वह बहुत ही शक्तिशाली है। वह बड़े-बड़े बहादुरों को भी पछाड़ देता है। वह आधुनिक युग का भीम है। इस प्रकार दूसरी स्त्री ने अपने बेटे के बल का बखान किया।
(3) तीसरी स्त्री ने अपने बेटे की विशेषता में क्या कहा?
उत्तर : तीसरी स्त्री ने कहा कि मेरा बेटा साक्षात् बृहस्पति का अवतार है। वह जो कुछ पढ़ता है, उसे एकदम याद कर लेता है। ऐसा लगता है मानो उसके कंठ में सरस्वती का निवास हो। इस प्रकार तीसरी स्त्री ने अपने बेटे की बुद्धि की तारीफ की।
(4) चौथी स्त्री ने अपने बेटे का परिचय कैसे दिया?
उत्तर : चौथी स्त्री ने कहा कि मेरा बेटा तो एक साधारण लड़का है। वह न तो गंधर्व-सा गायक है, न भीम-सा बलवान और न बृहस्पति-सा बुद्धिमान। मैं उसकी प्रशंसा कैसे करूँ? इस प्रकार चौथी स्त्री ने एक सीधे-सादे लड़के के रूप में अपने बेटे का परिचय दिया।
प्रश्न 2. निम्नलिखित उक्ति कौन, किसे कहता है, लिखिए :
(1) “यही सच्चा हीरा है।”
उत्तर : एक वृद्ध महिला चारों स्त्रियों से कहती है।
(2)”माँ, लाओ, मैं तुम्हारा घड़ा पहुँचा दूं।”
उत्तर : चौथी स्त्री का बेटा माँ से कहता है।
(3) “सुनो, मेरा हीरा गा रहा है।”
उत्तर : पहली स्त्री अन्य स्त्रियों से कहती है।
(4) “देखो, यही है मेरी गोद का हीरा।”
उत्तर : तीसरी स्त्री अन्य स्त्रियों से कहती है।
(5) “देखो, वह मेरा लाड़ला बेटा आ रहा है।”
उत्तर : दूसरी स्त्री अन्य स्त्रियों से कहती है।
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