Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay (ધોરણ 6 હિન્દી સેમ 2 એકમ 2 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay
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Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay. ધોરણ 6 સેમ 2 હિન્દી વિષયના એકમ 2 નું અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય વાંચી અને લખી શકશો. ધોરણ 6 હિન્દી સેમ 2 એકમ 2 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 6

विषय : हिन्दी

एकम : 2. अनूठे इन्सान

सत्र : द्वितीय

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) नेपोलियन और उसकी बहन के स्वभाव में क्या अंतर था?

उत्तर : नेपोलियन सच बोलने से डरता नहीं था। उसमें सच्चाई का सामना करने का साहस था। अपने कारण हुई दूसरे की हानि वह सहन नहीं कर सकता था। उसकी बहन का चरित्र इसके विपरीत था । वह डरपोक थी और सच्चाई का सामना नहीं कर सकती थी। वह झूठ बोलकर सच्चाई से बच निकलने में ही अपनी भलाई मानती थी। उसे केवल अपने बचाव की चिंता थी, दूसरों के नुकसान की  नहीं। इस प्रकार, नेपोलियन और उसकी बहन के स्वभाव में बहुत अंतर था ।

(2) आप नेपोलियन की जगह होते तो क्या करते?

उत्तर : नेपोलियन का धक्का लगने से अमरूद बेचने जानेवाली लड़की के अमरूद कीचड़ में गिरकर खराब हो गए थे। अब वह उन्हें बेच नहीं सकती थी। उसे डर था कि अब वह अपनी माँ को क्या जवाब देगी? नेपोलियन को लगा कि उसके कारण उस गरीब लड़की की हानि हुई है। उसकी हानि को पूरा करना उसने अपना फर्ज समझा। उसने अपनी माँ को सच-सच हकीकत बता दी और उस लड़की को माँ से पूरे पैसे दिलवाए।

अगर नेपोलियन की जगह मैं होता तो मैं भी उसीकी तरह उस गरीब लड़की का नुकसान न होने देता।

(3) आप अपने जेबखर्च का उपयोग किस प्रकार करते हैं?

उत्तर : मुझे जेबखर्च के लिए प्रतिदिन 10 रुपये मिलते हैं। मैं सभी पैसे खर्च नहीं करता। हमारे स्कूल के उपहारगृह में चीजें किफायती दरों पर मिलती हैं। इसलिए स्कूल में नाश्ता करने के बाद भी मेरे पास कुछ रुपये बच जाते हैं। इन्हें मैं अपने पास बचाकर रखता हूँ। कभी किसी सहपाठी को सहायता की आवश्यकता हो तो मैं इस बचत में से उसकी मदद करता हूँ। छोटी बहन की वर्षगाँठ का उपहार भी मैं इसी बचत की रकम से खरीदता हूँ। माताजी और पिताजी के जन्मदिनों पर इसी बचत से मैं उनके लिए फूलों के हार जरूर लाता हूँ। इस प्रकार, अपने जेबखर्च का मैं आवश्यकता के अनुसार उपयोग करता हूँ।

(4) बापू के बारे में आप क्या जानते हैं?

उत्तर : बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। लोग उन्हें ‘महात्मा गाँधी’ के नाम से जानते हैं। महात्मा गांधीजी ने देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लंबी लड़ाई लड़ी। वे अनेक बार जेल गए। उन्होंने कई सत्याग्रह किए। आज़ादी की लड़ाई में देश की जनता ने उनका पूरा साथ दिया। लोगों ने उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ का सम्मान दिया। 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में बापू की हत्या हो गई। बापू ने हमें शांति, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया। उनकी समाधि ‘राजघाट’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

(5) बापू धन क्यों इकट्ठा कर रहे थे?

उत्तर : उस समय देश में आज़ादी के लिए आंदोलन चल रहा था। बापू उसके नेता थे। आंदोलन के लिए धन की जरूरत पड़ती थी। बापू यह धन कहाँ से लाते? इसलिए वे सारे देश में घूम-घूमकर सभाएँ करते और धन इकट्ठा करते थे।

(6) आपको कौमुदी का पात्र कैसा लगा? क्यों?

उत्तर : मुझे कौमुदी का पात्र बहुत प्रेरक लगा। महिलाओं को गहनों के प्रति स्वाभाविक मोह होता है। फिर कौमुदी तो अभी सोलह साल की बालिका थी। उसके गहने बहुत कीमती थे। ऐसे गहने दुबारा नहीं बन सकते थे। फिर भी देश की आज़ादी के लिए उसने अपने गहनों का त्याग कर दिया। गाँधीजी को अपने सभी गहने भेंट कर उसने साबित कर दिया। कि देशप्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इसीलिए कौमुदी का पात्र हम सब के लिए बड़ा प्रेरणादायक है।

(7) क्या आपने भी कभी अपने मातापिता के सामने (अपनी) गलती स्वीकार की है? उस घटना को अपने शब्दों में बताइए।

उत्तर : एक बार छुट्टी के दिन मैं अपनी सोसायटी के मैदान में साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहा था। बल्लेबाजी करते समय मैंने गेंद को इतनी जोर से मारा कि एक मकान की खिड़की का कांच टूट गया। मकान के मालिक क्रोधित होकर बाहर आए और पूछा, “मेरा काँच किसने तोड़ा?” साथियों ने मेरा ही नाम लिया। उस सज्जन ने जाकर मेरे मातापिता से इसकी शिकायत की। मैंने अपनी गलती मान ली। वे सज्जन भी खुश हुए और बोले, “कोई बात नहीं बेटा, खेलो जरूर, पर इतना ध्यान रखो कि किसी का नुकसान न हो। “

प्रश्न 2. संयुक्त वर्ण से बने दो-दो शब्द लिखिए :

(1) द् + ध = द्ध = शुद्ध

उत्तर : बुद्ध, क्रुद्ध

(2) त् + त = त्त = वित्त

उत्तर : कुत्ता, छत्ता

(3) द् + म= द्म = पद्म

उत्तर : छद्म, सद्म

(4) द् + व = द्व = विद्वान

उत्तर : द्वार, द्वेष

(5) ह+ म = ह्म = ब्रह्म

उत्तर : ब्रह्मांड, ब्राह्मण

प्रश्न 3. निम्नलिखित विषय पर चर्चा कीजिए :

(1) महात्मा गाँधी और देशप्रेम

शिक्षक – शौनक, हम गाँधीजी को क्या कहकर उन्हें मान देते हैं?

शौनक – गुरुजी, हम गाँधीजी को ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहकर उन्हें मान देते हैं।

शिक्षक – शाबाश, परंतु उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहते हैं?

सुनील – गुरुजी, गाँधीजी ने अपना सारा जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया। उन्होंने अपने घर-परिवार की चिंता नहीं की, केवल देश की चिंता की।

रमण – उन्होंने कई सत्याग्रह किए और वे कई बार जेल गए। उन्होंने कई बार उपवास किए। देश को अंग्रेजों के शासन से आज़ाद कराने के लिए उन्होंने कोई भी प्रयत्न बाकी नहीं रखा। उन्होंने निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा की। सचमुच, बापू महान देशप्रेमी थे।

(2) इन्सान अनूठा कब कहलाता है?

उत्तर :

शिक्षक – महेश, क्या तुम बता सकते हो कि इन्सान अनूठा कब कहलाता है?

महेश – गुरुजी, जब व्यक्ति कोई असाधारण काम करता है, तब वह ‘अनूठा इन्सान’ कहलाता है। जैसे- सरदार वल्लभभाई पटेल।

शिक्षक – उन्होंने कौन-सा अनूठा काम किया था?

महेश – गुरुजी, जब हमारा देश आज़ाद हुआ तब यहाँ लगभग 600 रियासतें थीं। इनमें से कुछ राजा बड़े हठी थे। वे अपनी रियासत छोड़ने को तैयार नहीं थे। सरदार पटेल ने बड़ी कुशलता से सभी राजाओं से उनकी रियासतें लीं और एक स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण किया। सभी लोग सरदार का लोहा मान गए।

रौनक – गुरुजी, इसीलिए तो सरदार पटेल को ‘लौहपुरुष’ कहते हैं।

शिक्षक – हाँ, सरदार पटेल लोखंडी इरादों के आदमी थे। सचमुच, वे ‘अनूठे इन्सान’ थे।

(3) तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे?

उत्तर :

शिक्षक – (विद्यार्थियों से) तुम लोग महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु, लालबहादुर शास्त्री आदि नेताओं की देशसेवा के बारे में जानते हो। लेकिन तुम खुद अपने देश की सेवा कैसे करोगे?

अशुमान – गुरुजी, मैं कृषि वैज्ञानिक बनूँगा। मैं खेती के नए-नए तरीकों का आविष्कार कर तरह-तरह के अनाजों, दालों और शाक-सब्जियों की पैदावार बढ़ाऊँगा।

प्रदीप – गुरुजी, मैं इंजीनियर बनकर ऐसी तकनीक विकसित करूंगा कि जिससे सस्ते, सुंदर और मजबूत मकान बने। मैं ऐसा प्रयत्न करूंगा कि देश में कोई बेघर न रहे।

कौशल – गुरुजी, मैं देश में फैले हुए भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ फेंकने का इरादा रखता हूँ। इसके लिए जो भी हो सकेगा, मैं ईमानदारी से करूंगा।

शिक्षक – मुझे खुशी है कि तुम लोग किसी-न-किसी तरह देश की सेवा करना चाहते हो। भविष्य में तुम्हारे हाथों में ही देश की बागडोर होगी। मुझे विश्वास है कि तुम लोग सच्चे देशसेवक बनोगे।

प्रश्न 4. नीचे संज्ञा से बननेवाले विशेषण शब्द दिए गए हैं, उनका वाक्य में प्रयोग करके लिखिए :

(1) धर्म-धार्मिक

उत्तर : मेरे दादाजी कोई-न-कोई धार्मिक कार्य करते रहते हैं।

(2) रंग-रंगीन

उत्तर : शीला रंगीन कपड़े पसंद करती है।

(3) लोभ-लोभी

उत्तर : लोभी आदमी से कुछ पाने की आशा मत करो।

(4) भारत-भारतीय

उत्तर : भारतीय लोग अतिथिप्रिय होते हैं ।

(5) चमक-चमकीला

उत्तर : सोना चमकीला होता है।

(6) शक्ति-शक्तिमान

उत्तर : वह सभी काम करने में शक्तिमान है।

(7) गुण-गुणवती

उत्तर : सुरेखा गुणवती बालिका है।

(8) बल बलवान

उत्तर : भीम बहुत बलवान थे।

(9) दया- दयावान

उत्तर : आप बड़े दयावान पुरुष हैं।

(10) दर्शन-दर्शनीय

उत्तर : दक्षिण भारत में कई दर्शनीय स्थान हैं।

प्रश्न 5. उदाहरण के अनुसार लिंग परिवर्तन कीजिए :

उदाहरण :

पुत्र – पुत्री

उत्तर :

(1) मेढक = मेढकी

(2) तरुण = तरुणी

(3) कुमार = कुमारी

(4) देव = देवी

(5) हिरन = हिरनी

उदाहरण : साँप – साँपिन

उत्तर :

(1) कुम्हार = कुम्हारिन

(2) नाग = नागिन

(3) बाघ = बाघिन

(4) धोबी = धोबिन

(5) ग्वाला = ग्वालिन

उदाहरण : मोर – मोरनी

उत्तर :

(1) शेर = शेरनी

(2) जादूगर = जादूगरनी

(3) मास्टर = मास्टरनी

(4) डॉक्टर = डॉक्टरनी

(5) ऊँट = ऊँटनी

प्रश्न 6. प्रश्न 5 में जिन शब्दों के लिंग परिवर्तन किए हैं, उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :

जैसे :

हिरन = हिरनी

हिरन = हिरन दौड़ रहा है।

हिरनी = हिरनी दौड़ रही है।

(1) मेढक = मेढक टरटरा रहा है।

मेढकी = मेढकी टरटरा रही है।

(2) तरुण = तरुण कॉलेज जा रहा है।

तरुणी = तरुणी कॉलेज जा रही है।

(3) कुमार = कुमार खेल रहा है।

कुमारी = कुमारी खेल रही है।

(4) देव = देव मुस्करा रहा है।

देवी = देवी मुस्करा रही है।

(5) कुम्हार = कुम्हार घड़े बना रहा है।

कुम्हारिन = कुम्हारिन घड़े बना रही है।

(6) नाग = नाग फुफकार रहा है।

नागिन = नागिन फुफकार रही है।

(7) बाघ = बाघ गरज रहा है।

बाघिन = बाघिन गरज रही है।

(8) धोबी = धोबी कपड़े धो रहा है।

धोबिन = धोबिन कपड़े धो रही है।

(9) ग्वाला = ग्वाला दूध ला रहा है।

ग्वालिन = ग्वालिन दूध ला रही है।

(10) शेर = शेर गरज रहा है।

शेरनी = शेरनी गरज रही है।

(11) जादूगर = जादूगर खेल दिखा रहा है।

जादूगरनी = जादूगरनी खेल दिखा रही है।

(12) मास्टर = मास्टर पढ़ा रहा है।

मास्टरनी = मास्टरनी पढ़ा रही है।

(13) डॉक्टर = डॉक्टर मरीज को देख रहा है।

डॉक्टरनी = डॉक्टरनी मरीज को देख रही है

(14) ऊँट = ऊँट बलबला रहा है।

ऊँटनी = ऊँटनी बलबला रही है।

प्रश्न 7. चित्र के आधार पर चर्चा करके कहानी लिखिए :

Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay
Class 6 Hindi Sem 2 Chapter 2 Swadhyay

उत्तर :

सच्चे मित्र

एक जंगल था। उसमें एक तालाब के किनारे कौआ, हिरन, चूहा और ये चार मित्र रहते थे।

एक दिन हिरन घूमते-घूमते शिकारी के जाल में फँस गया । कौआ, चूहा और

कछुआ कहीं दूर चले गए थे। उसने मित्रों को आवाज दी, पर वहाँ कोई नहीं था।

कुछ समय के बाद कौआ आया। उसने हिरन को जाल में फँसा हुआ देखा तो बहुत दुःखी हुआ। उसने हिरन से कहा, “मित्र, चिंता न करो। मैं अभी तुम्हें जाल से मुक्त कराता हूँ।”

वह उड़ता हुआ चूहे के पास पहुँचा और बोला, “चूहा भाई, जल्दी चलो। अपना मित्र हिरन शिकारी के जाल में फँस गया है। जाल काटकर उसे तुम्हीं मुक्त करा सकते हो। ऐसा करो कि तुम मेरी पीठ पर बैठ जाओ तो हम जल्दी पहुँच जाएँगे।” कछुए ने कहा, “कौआ ठीक कहता है। तुम दोनों जल्दी जाओ। मैं भी बाद में आता हूँ।”

कौआ चूहे को अपनी पीठ पर बिठाकर ले आया। चूहे ने धीरे-धीरे जाल काट डाला । कौए ने दूर से शिकारी को आते हुए देखा। उसने हिरन को सावधान किया। हिरन जाल से निकलकर भागा। चूहा पास की झाड़ी में छिप गया। तब तक कछुआ वहाँ पहुँच चुका था। शिकारी के पास थैली थी। हिरन को न पाकर गुस्से में उसने कछुए को पकड़कर थैली में ले जाना चाहा, लेकिन तब तक कछुआ तालाब में सरक गया। शिकारी हाथ मलता रह गया।

इस तरह कौआ, हिरन, चूहा और कछुआ चारों ने मित्रता निभाई।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) नेपोलियन की बहन का नाम क्या था?

उत्तर : नेपोलियन की बहन का नाम इलाइजा था।

(2) नेपोलियन लड़की को अपने घर क्यों ले गया?

उत्तर : लड़की के अमरूद खराब हो जाने से उसे नुकसान हुआ था। नेपोलियन माँ से पैसे दिलाकर उसका नुकसान पूरा करवाना चाहता था। इसलिए वह लड़की को अपने घर ले गया।

(3) गांधीजी को सोने की चूड़ी देनेवाली लड़की का नाम क्या था?

उत्तर : गाँधीजी को सोने की चूड़ा देनेवाली लड़की का नाम ‘कौमुदी’ था।

(4) गाँधीजी ने कौमुदी से क्या कहा?

उत्तर : गाँधीजी ने कौमुदी से कहा, “तुम्हें दोनों चूड़ियाँ देने की जरूरत नहीं है। एक ही चूड़ी लेकर मैं तुम्हें अपने हस्ताक्षर दे दूंगा । “

(5) हस्ताक्षर करने के बाद गाँधीजी ने क्या लिखा?

उत्तर : हस्ताक्षर करने के बाद गाँधीजी ने लिखा, तुम्हारे इन आभूषणों की अपेक्षा “तुम्हारा त्याग ही सच्चा आभूषण है।”

प्रश्न 2. (क) अपने गाँव में घटी कोई आँखों देखी घटना के बारे में लिखिए।

उत्तर : मेरा गाँव जंगल के पास है। कभी-कभी जंगली जानवर गाँव में आ जाते हैं।

एक दिन मैं अपने मित्र के साथ उसके घर के पीछे खेल रहा था। अचानक तेंदुआ दबे पाँव आया और उसने मेरे मित्र पर हमला कर दिया। मैं जोर से चिल्लाया, “तेंदुआ, तेंदुआ, बचाओ- बचाओ।” आवाज़ सुनकर मित्र की माँ एक डंडा लेकर दौड़ी और तेंदुए पर टूट पड़ी। उसका उग्र रूप देखकर तेंदुआ भाग गया। मेरी जान में जान आई। मित्र की गरदन पर तेंदुए के पंजे के खरोंच पड़े थे। कोई गहरा घाव नहीं पड़ा था। कई लोग वहाँ जमा हो गए। सबने मित्र की माँ के साहस की। प्रशंसा की।

इस घटना को कई साल हो गए, पर मैं इसे आज तक नहीं भूल सका। वह बहादूर माँ आज हमारे गाँव की सरपंच है।

प्रश्न 2. (ख) इस इकाई के आधार पर अपने मित्रों से पूछने के लिए पाँच प्रश्न बनाइए ।

उत्तर :

(1) तुमसे किसी का नुकसान हो जाए तो क्या तुम उसकी भरपाई करोगे?

(2) क्या तुम नेपोलियन की तरह अपने मातापिता के आगे सच बोलते हो?

(3) तुम्हारे सच बोलने से तुम्हें नुकसान हो रहा हो, तो क्या तुम उसे सहन कर लोगे?

(4) तुम देश के लिए क्या दे सकते हो?

(5) तुम देश की सेवा किस प्रकार करना चाहते हो?

प्रश्न 3. विरामचिह्नों का उपयोग करके परिच्छेद फिर से लिखिए और अनुवाद कीजिए :

दुर्गावती बचपन से ही बहादुर थीं उन्हें युद्ध करने में अपूर्व धैर्य दूरदर्शिता अटूट साहस और स्वाभिमान जैसे गुण विरासत में मिले थे जहाँ वे सुशील कोमल अति सुदर और भावुक थीं वहीं दूसरी ओर से वीर साहसी और अस्त्र-शस्त्र चलाने में भी निपुण थीं शिकार खेलने में उन्हें विशेष रुचि थी वे तीर और बंदूक का अचूक निशाना लगाने में भी कुशल थीं।

उत्तर : दुर्गावती बचपन से ही बदाहुर थीं। उन्हें युद्ध करने में अपूर्व धैर्य, दूरदर्शिता, अटूट साहस और स्वाभिमान जैसे गुण विरासत में मिले थे। जहाँ वे सुशील, कोमल, अति सुंदर और भावुक थीं, वहीं दूसरी ओर वे वीर, साहसी और अस्त्र-शस्त्र चलाने में भी निपुण थीं। शिकार खेलने में उन्हें विशेष रुचि थी । वे तीर और बंदूक का अचूक निशाना लगाने में भी कुशल थीं।

અનુવાદ :

દુર્ગાવતી બાળપણથી જ બહાદુર હતાં. તેમને યુદ્ધ કરવામાં અપૂર્વ ધૈર્ય, દૂરંદેશીપણું, અખંડ સાહસ અને સ્વાભિમાન જેવા ગુણ વારસામાં મળ્યા હતા. જ્યાં તેઓ સુશીલ, કોમળ, અત્યંત સુંદર અને ભાવુક હતાં, ત્યાં બીજી બાજુ તેઓ વીર, સાહસી અને અસ્ત્ર-શસ્ત્ર વાપરવામાં પણ કુશળ હતાં. શિકાર કરવામાં તેમને વિશેષ રુચિ હતી. તેઓ તીરથી અને બંદૂકથી નિશાન તાકવામાં પણ કુશળ હતાં.

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