![17 types of yogasana in hindi 1 Yogasana in Hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/yogasana-in-hindi.jpg)
17 types of yogasana in hindi 17 प्रकार के योगासनों करने की विधि, लाभ और विशेष
यूं तो योग तथा आसनों को करने के अनेक लाभ हैं तथा प्रत्येक आसन हमें किसी न किसी प्रकार के रोग से मुक्ति अवश्य दिलवाता है तो आईए जानते हैं कि कौन सा आसन हमें किस रोग से मुक्त करता है तथा उसकी विधि व क्या लाभ हैं ।
यही सही है कि योग एक वैज्ञानिक पद्धति है । परंतु इसका लाभ उठाने के लिए हमें न केवल आसनों का ज्ञान होना चाहिए बल्कि उन्हें किस रोग में , कैसे , कितना व किन सावधानियों के साथ किया जाना चाहिए इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए । उम्र , अवस्था एवं रोग अनुसार योग हमारे जीवन में मानसिक शांति के साथ – साथ शारीरिक सुख भी लाता है । हर योगासन का अपना ही विशेष महत्त्व व लाभ है जो इस प्रकार है।
shashankasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 2 shashankasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/shashankasana-in-hindi.jpg)
शशांक आसन
शशांक अर्थात् खरगोश इस आसन में बैठता है या सोता है इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं ।
shashankasana steps in hindi (विधि)
सबसे पहले जमीन पर वज्रासन की अवस्था में बैठ जाएं और फिर लंबी गहरी श्वास भरें और साथ – साथ दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए ऊपर की ओर तानें । ध्यान रहे हथेलियां खुली हुई और सामने की ओर होनी चाहिए । अब सांस को बाहर निकालते हुए कमर तक के भाग को नीचे मोड़ते हुए अपने दोनों हाथों की हथेलियों को जमीन पर टिकाएं । फिर माथे को जमीन पर टिकाएं , हमारे श्वास की गति झुके रहने पर सामान्य होगी । अपनी क्षमतानुसार और समयानुसार इस आसन में रुकें और फिर धीरे – धीरे हाथों को ऊपर लाएं । यह इस आसन का एक चक्र हुआ । इस आसन को 5 बार अवश्य करें ।
shashankasana benefits in hindi (लाभ)
इस आसन के अभ्यास से हमारा मन शान्त होता है । एकाग्रता , दृढ़ निश्चय , क्रोध पर नियन्त्रण , मानसिक सन्तुलन , बुद्धि का विकास और दृष्टिकोण सकारात्मक होता है । इससे दमा , हृदय रोग , फेफड़ा रोग और श्वास संबंधित विकार दूर होते हैं । यह आसन मेरुदण्ड के लिए बहुत ही लाभप्रद होता है । चेहरे पर लालिमा , कान्ति और तेज बढ़ता है , महिलाओं के लिए यह आसन विशेष रूप से लाभदायक होता है , शशांकासन हमारे शरीर के पूरे अंगों की थकान दूर करता है ।
विशेष
स्लिप डिस्क , गर्भवती महिलाएं और गठिया के रोगी बिना योग गुरु से परामर्श लिए इस आसन का अभ्यास न करें ।
gomukhasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 3 gomukhasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/gomukhasana-in-hindi.jpg)
गोमुखासन
इस आसन में हमारे शरीर की आकृति गाय के मुख समान हो जाती है । इसलिए हमारे योगियों ने इस आसन का नाम गोमुखासन रखा है ।
gomukhasana steps in hindi (विधि)
जमीन पर बैठ जाएं । उसके बाद टांग को मोड़ते हुए एड़ी को नितम्ब के पास ले जाएं और दाएं नितम्ब की एड़ी पर टिकाकर बैठ जाएं । इसी प्रकार दाईं टांग को मोड़कर एड़ी को बायें नितम्ब के पास लाएं । हमारे घुटनों की स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि दोनों घुटने एक – दूसरे के ऊपर आ जाएं । अब बायें हाथ को पीछे से मोड़कर हथेली को बाहर की ओर रखते हुए ऊपर की ओर ले जाएं । दाहिने हाथ को ऊपर से मोड़ें और कोहनी सीधी करते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को एक – दूसरे से पकड़ लें । थोड़ी देर इस स्थिति में रहें , ध्यान रहे कमर , गर्दन और सिर बिल्कुल सीधा होना चाहिए । नजर सामने की ओर होनी चाहिए तथा श्वास की गति सामान्य । कुछ देर बाद अपनी क्षमतानुसार रहने के बाद इसी प्रकार से दूसरी टांग को मोड़कर और हाथों की स्थिति बदलकर इसका अभ्यास करें । इस आसन को दोनों ओर से कम से कम 3-3 बार अभ्यास करें ।gomukhasana benefits in hindi (लाभ)
यह आसन दमा तथा क्षयरोगी के लिए रामबाण का काम करता है । इसके अभ्यास से धातु की दुर्बलता , मधुमेह , प्रमेह और बहुमूत्र आदि रोग दूर हो जाते हैं । जब हम इस आसन में एक तरफ का हाथ उठाते हैं तो एक तरफ का फेफड़े का श्वास अवरुद्ध होता है और दूसरा फेफड़ा तीव्र वेग से चलता है जिससे हमारे फेफड़ों की सफाई तथा रक्त का संचार बढ़ जाता है । हमारे फेफड़ों के 1 करोड़ छिद्रों में रक्त का संचार भली – भांति होता है । यह आसन महिलाओं की मासिक धर्म से जुड़ी परेशानी और ल्यूकोरिया की शिकायत दूर करता है । यह महिलाओं के वक्ष स्थल को सुडौल बनाता है । छाती चौड़ी होती है । पीठ , गर्दन , बांह और टांगें मजबूत होती हैं ।
सावधानियां
गठिया के मरीज इसका अभ्यास न करें ।
विशेष
इस आसन का अभ्यास जल्दबाजी में ना करें । साधक जब वज्रासन में बैठने में अभ्यस्त हो जाए तो इस आसन का अभ्यास करे ।
dhanurasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 4 dhanurasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/dhanurasana-in-hindi.jpg)
धनुरासन
इस आसन में हमारे शरीर की आकृति ‘ धुन ‘ यानी ‘ धनुष ‘ के समान हो जाती है इसलिए योगियों ने इसका नाम ‘ धनुरासन ‘ रखा है
dhanurasana steps in hindi (विधि)
पेट के बल लेट जाएं और घुटनों तक अपनी टांगे मोड़ लें । दोनों हाथ से अपने टखने पकड़ लें , पैरों को बाहर की ओर खोलते हुए श्वास का रेचन यानी श्वास को छोड़ते हुए घुटनों को ऊपर उठाएं । शरीर को धनुषनुमा बनाएं । ज्यादा से ज्यादा अपने शरीर को ऊपर की ओर ताने , पेट का भाग जमीन को स्पर्श करेगा , जब तक आसानी पूर्वक श्वास रोककर इस आसन में रह सकते हैं रहें । ना रोक पाने पर श्वास निकालते हुए वापस आएं । इस तरह इस आसन का एक चक्र पूरा होता है , कम से कम 3 से 5 चक्रों का अभ्यास करें ।
dhanurasana benefits in hindi (लाभ)
इस आसन के अभ्यास से कब्ज , बदहजमी , गैस और अजीर्ण की शिकायत दूर हो जाती है । इसके अभ्यास से कमर पतली और सीना चौड़ा होता है । इससे गला भुजायें और कन्धों के व्यायाम भली – भांति होता है , श्वास संबंधी बिमारियों में रामबाण का काम करता है । यह आसन हमारे हृदय को सबल बनाता है । महिलाओं में मासिक धर्म गर्भाशय के विकार और बांझपन जैसे रोगों को भी दूर करता है । हमारे लीवर और पेनिक्रियाज ग्लेण्ड की मसाज करता है । हमारे कमर के 33 वट्रिवा ( यानी मानको ) की मसाज करता है ।
सावधानियां
हृदय रोगी , उच्च रक्तचाप , अल्सर , हर्निया और गर्भवती महिलाएं इसका अभ्यास न करें ।
vajrasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 5 vajrasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/vajrasana-in-hindi.jpg)
वज्रासन
इस आसन का सीधा प्रभाव हमारे शरीर की – वज्र नाड़ी पर पड़ता है और इसे अभ्यास से अभ्यासी वज्र के समान कठोर एवं सख्त हो जाता है इसलिए हम योगियों ने इसका नाम वज्रासन रखा है । इस आसन में इस्लाम धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायी पूजा और ध्यान करते हैं ।
vajrasana steps in hindi (विधि)
दोनों टांगों को पीछे की ओर मोड़कर घुटने के बल बैठ जाएं । पैरों के तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए । दोनों पैर के अंगूठे परस्पर एक – दूसरे से मिले हों । एड़ियों को इस प्रकार खेल दें ताकि नितम्ब उन पर टिक जाए । दोनों हाथ जंघाओं पर होने चाहिए । कमर , गर्दन छाती बिल्कुल सीधी होनी चाहिए । हमारे श्वास की गति सामान्य होगी । इस आसन का अभ्यास अपनी क्षमता और समयानुसार करें । शुरू शुरू में कम से कम 2 मिनट तक इस आसन में बैठे , अभ्यस्त होने के बाद धीरे धीरे समय को बढ़ा सकते हैं ।
vajrasana benefits in hindi (लाभ)
इसके अभ्यास से वात , बदहजमी , कब्ज रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं । अतिनिद्रा वालों के लिए यह परम उपयोगी है । विद्यार्थी अथवा रात में जागकर काम करने वाले लोगों के लिए यह बहुत ही लाभदायक है । इस आसन में नाड़ियों का प्रवाह ऊर्ध्वगामी हो जाता है , जिससे भोजन शीघ्र पच जाता है । जो महिलाएं गर्भवती अवस्था में इसका अभ्यास करती हैं तो उनकी नॉर्मल डिलीवरी होती है । हमारे प्रजनन संस्थान वाले क्षेत्र में रक्त का संचालन कम होने के कारण पुरुषों में अंडवृद्धि यानी ( हाइड्रोसिल ) नामक बीमारी नहीं होती है ।
सावधानियां
गठिया के रोगी इसका अभ्यास न करें ।
विशेष
नये साधकों को अपने पैरों के तालू , एड़ी में दर्द का आभास होगा । आसन को खत्म करने के बाद अपने पैरों को अवश्य हिलाएं , जिससे रक्त संचार पैरों में भली – भांति होगा । यह ही केवल एक ऐसा योग आसन है , जिसे भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है ।
sarvangasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 6 sarvangasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/sarvangasana-in-hindi.jpg)
सर्वांगासन
इस आसन में हमारे शरीर के सभी अंगों का व्यायाम होता है इसलिए हमारे योगियों ने इसका नाम सर्वांगासन रखा है।
sarvangasana steps in hindi (विधि)
जमीन पर पीठ के बल लेट जायें । उसके बाद दोनों पैर को आपस में मिलाकर कमर तक के भाग को जमीन से ऊपर उठाते हुए लायें । उसके बाद दोनों हाथ के सहारे से कमर को पकड़ लें । पंजे खींचे हुए , जांघों और टांगों को बिल्कुल सीधा रखें । ध्यान रहे जांघे , घुटने और टांगें बिल्कुल डंडे की भांति सीधी होनी चाहिए । ठोढ़ी कंठ कूप से लगी रहे । हमारी टांगें 90 अंश के कोण पर स्थित रहेंगी । श्वास की गति सामान्य । जितनी देर तक आप सरलता पूर्वक इस आसन में रह सकते हैं रहें , न रह पाने की अवस्था में धीरे – धीरे हाथों के सहारे से धीरे – धीरे सामान्य अवस्था में वापस आयें । ध्यान रहे वापस आते समय झटके के साथ वापस न आयें । इस आसन का एक चक्र हुआ । इसका एक बार ही अभ्यास करें । आसन खत्म करने के बाद शवासन में कुछ देर रहें ।
sarvangasana benefits in hindi (लाभ)
सर्वांगासन जैसा कि नाम से आभास होता है कि इस आसन से हमारे शरीर के सभी अंगों का व्यायाम होता है । इस आसन से रक्त की शुद्धि , मस्तिष्क एवं हृदय और फेफड़ों की पुष्टि के लिए बहुत उपयोगी है । इसके करने से रक्त प्रवाह मस्तिष्क की ओर हो जाता है , जिससे शिराओं को बल मिलता है । नेत्र ज्योति को बढ़ाता है । इससे आंख , कान , गले एवं हृदय के विकार दूर होते हैं । त्वचा रोगों को ठीक करता है यह आसन । संगीत प्रेमियों के लिए भी उपयोगी है , इसके नित्य अभ्यास से गले की आवाज सुरीली हो जाती है , जिन लोगों को पांव में अति गर्मी या अत्यधिक सर्दी लगती है उन्हें इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए । इससे बालों का पकना और गिरना जैसी बिमारियां दूर होती हैं । व्यक्ति बुढ़ापे पर विजय प्राप्त करता है । चेहरा कांतिवान हो जाता है ।
सावधानियां
जो लोग गर्दन दर्द , स्लिप डिस्क , उच्च रक्तचाप , हृदय रोग , आंखों की कमजोरी , खून की नाड़ियां और गर्भवती महिलाएं इस आसन का अभ्यास न करें । यह योग के कठिन आसनों में से है । इसलिए इसका अभ्यास योग गुरु के सानिध्य में ही करें.
bhujangasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 7 bhujangasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/bhujangasana-in-hindi.jpg)
भुजंगासन
इस आसन में हमारे शरीर की आकृति फन उठाए ‘ भुजंग ‘ के समान होती है , इसलिए हमारे योगियों ने इसका नाम भुजंगासन रखा है ।
bhujangasana steps in hindi (विधि)
पेट के बल लेट जायें , एड़ी , पंजे , जंघा आपस में मिले हुए होने चाहिए । पंजे बाहर की ओर तान कर रखें , दोनों हाथ को कंधे के बगल में रखे , कोहनियां जमीन को स्पर्श करती हुई होनी चाहिए । अब अपने कमर तक के भाग को हाथों का सहारा देते हुए धीरे – धीरे ऊपर की ओर उठायें , हमारी दोनों कोहनियां कुछ मुड़ी हुई रहेंगी , गर्दन पीछे की ओर । कुछ देर इसी अवस्था में रुकें , ध्यान रहे इस आसन को करते वक्त श्वास की गति सामान्य होनी चाहिए और अपनी क्षमता से ज्यादा आसन में ना रहें और फिर धीरे – धीरे सामान्य अवस्था में वापस आयें । इस आसन को कम से कम 5 चक्रों का अभ्यास अवश्य करें ।
bhujangasana benefits in hindi (लाभ)
इस आसन के अभ्यास से कमर दर्द , गर्दनदर्द , साईटिका जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है । टांसिल , थायराइड ग्रंथि स्वस्थ बनी रहती है । पेट व आंत के विकार दूर होते हैं । पीठ , छाती , हृदय , गर्दन , कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं । लीवर को लाभ मिलता है । यह आसन मधुमेह में रामबाण का काम करता है । महिलाओं की ओवरी और गर्भाशय को मजबूती प्रदान करता है । मेरुदण्ड लचीला बनाता है । जिनकी नाभि बार – बार गिरती है , उनकेलिए बहुत उपयोगी है ।
सावधानियां
हार्निया , अल्सर और हृदय रोगी इस आसन का अभ्यास न करें । गर्भवती महिलायें योग गुरु के सानिध्य में इसका अभ्यास करें ।
shalabhasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 8 shalabhasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/shalabhasana-in-hindi.jpg)
शलभासन
हमारे योगियों ने इस आसन का नाम ‘ शलभासन ‘ इसलिए रखा कि इस आसन को करते वक्त हमारे शरीर की आकृत्ति ‘ शलभ ‘ अर्थात् ‘ टिड्डीनुमा ‘ हो जाती है ।
Shalabhasana steps in hindi (विधि)
जमीन पर पेट के बल लेट जाएं । दोनों हाथ को अपनी जांघों के नीचे रखें । चिन या ठुड्डी जमीन को स्पर्श करती रहे । दोनों पैर के पंजे और तने परस्पर आपस में मिले रहे । उसके बाद श्वास अन्दर भरते हुए कमर के ऊपरी और निचले भाग को उठाते हुए साथ – साथ अपने कन्धे गर्दन और सिर को भी उठाएं । शरीर का समस्त भार हमारे हाथों पर होगा हम यह प्रयास करेंगे कि हमारी जंघायें ज्यादा से ज्यादा उठे । जितनी देर आप आसानी पूर्वक सांस रोक कर इस आसन में रुक सकते हैं , रुकें और फिर धीरे – धीरे श्वास छोड़ते हुए जमीन पर वापस आएं । यह इस आसन का एक चक्र पूरा हुआ । इस आसन को कम से कम 3 से 5 बार अभ्यास करें ।
shalabhasana benefits in hindi (लाभ)
इस आसन के अभ्यास से हमारी नाभि स्वतः अपने स्थान पर बनी रहती है , जिससे कि नाभि सरकने वाले दोषों से बचता है । हमारा सीना , कन्धा चौड़े और बलिष्ठ हो जाते हैं । यह आसन पाचनतंत्र को मजबूत बनाता है । हमारे लोअर – बैक को मजबूत बनाता है । स्त्रियों के मासिक धर्म के दोष , गर्भाशय के दोष और गर्भ धारण में सहायता करता है । आंत , गुर्दा और पेनक्रियाज ग्लेण्ड को सक्रिय करता है । वीर्य दोष जैसे विकार दूर होते हैं ।
सावधानियां
हृदय रोगी , उच्च रक्तचाप , अल्सर व हर्निया के रोगी इसका अभ्यास न करें ।
विशेष
यह रोग का थोड़ा कठिन आसन है , इसको करते वक्त जल्दबाजी न करें ।
halasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 9 halasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/halasana-in-hindi.jpg)
हलासन
योगियों ने इस आसन का नाम ‘ हलासन ‘ इसलिए रखा है इसे करते वक्त हमारे शरीर की मुद्रा ‘ हल ‘ के समान हो जाती है इसलिए इसे ‘ हलासन ‘ कहा जाता है।
halasana steps in hindi (विधि)
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं । दोनों पैर को बिना घुटने मोड़े एक साथ उठायें और धीरे – धीरे उन्हें बिल्कुल ऊपर तक उठा लें । फिर नितम्ब सहित कमर को भी पैरों के साथ ही उठाते हुए पैरों को बिल्कुल सिरे के पीछे ले जाएं । पैर के अंगूठे व उंगलियां जमीन को स्पर्श करें । इस पूरी प्रक्रिया में घुटने नहीं मुड़ने चाहिए और हमारे श्वास की गति सामान्य रहनी चाहिए । जितनी देर हम सरलतापूर्वक इस आसन में रुक सकते हैं रुकें । न रुक पाने की अवस्था में धीरे – धीरे टांग को ऊपर उठाते सीधा करें और फिर जमीन पर वापस आ जाएं । नये साधक कम से कम 10 सेकेंड तक इस आसन में रुकने का प्रयास करें । अभ्यास होने पर 2 से 3 मिनट तक भी रुक सकते हैं । इसका अभ्यास एक बार ही करें । आसन खत्म होने के बाद शवासन जरूर करें।
halasana benefits in hindi (लाभ)
यह आसन मधुमेह , यकृत , प्लीहा और पेट के रोगों के लिए अत्यन्त उपयोगी है । इससे मेरुदंड सबल और लोचदार बनता है । बालों के लिए , चेहरे पर लालिमा , आंखों के रोगों के लिए यह रामबाण का काम करता है । यह आसन लंबी अवधि तक युवावस्था को बनाए रखने में सहायक है । यह आसन थायराइड , पेरा थायराइड ग्रन्थियों की कार्यक्षमता बढ़ाता है । यह आसन दमा , श्वास सम्बन्धि रोग , तपेदिक और महिलाओं से संबंधित सभी रोगों में लाभदायक है ।
सावधानियां
स्लिप डिस्क , गर्दन दर्द , हृदय रोगी , उच्च रक्तचाप , हर्निया के रोगी इसका अभ्यास न करें । हालांकि यह आसन योग का थोड़ा कठिन आसन है , इसलिए अभ्यास करते वक्त धैर्य अवश्य – रखें , अच्छा हो कि योग गुरु के सान्निध्य – में अभ्यास करें ।
uttanpadasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 10 uttanpadasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/uttanpadasana-in-hindi.jpg)
उत्तानपादासन
uttanpadasana steps in hindi (विधि)
पीठ के बल लेट जायें । हथेलियां भूमि की ओर , पैर सीधे , पंजे मिले हुए ए हों । अब श्वास अन्दर भरकर पैरों को 1 फुट तक ( करीब 30 डिग्री तक ) शनैः शनैः ऊपर उठायें । कुछ समय तक इसी स्थिति में बने रहें । वापस आते समय धीरे – धीरे पैरों को नीचे भूमि पर टिकायें , झटके के साथ नहीं । कुछ विश्राम कर फिर यही क्रिया करें । इसे 3 से 6 बार करना चाहिए । जिनको कमर में अधिक दर्द रहता हो , वे एक – एक से क्रमश : इसका अभ्यास करें ।
uttanpadasana benefits in hindi (लाभ)
यह आसन आंतों को सबल एवं निरोग बनाता है तथा कब्ज , गैस , मोटापा आदि को दूर कर जठराग्रि को प्रदीप्त करता है । नाभि का टलना , हृदय रोग , पेट दर्द एवं श्वासरोग में भी उपयोगी है । एक एक पैर से क्रमश : करने पर कमर दर्द में विशेष लाभप्रद है ।
padmasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 11 padmasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/padmasana-in-hindi.jpg)
पद्मासन
padmasana steps in hindi (विधि)
दण्डासन में बैठकर दायें पैर को बायें पैर के जंघे पर रखें । इसी प्रकार बायें पैर को दाहिने जंघे पर स्थिर करें । मेरुदण्ड सीधा रहे । सुविधानुसार बायें पैर को दायें पैर के जंघे पर भी रखकर दायें पैर को बायें जंघे पर स्थिर कर सकते हैं । दोनों हाथों की अंजलि बनाकर ( बायां हाथ नीचे , दायां हाथ ऊपर ) अंक ( गोद ) में रखें । नासिकाग्र अथवा किसी एक स्थान पर मन को केन्द्रित करके इष्टदेव परमात्मा का ध्यान करें । प्रारम्भ में एक – दो मिनट तक करें । फिर धीरे – धीरे समय बढ़ायें ।
padmasana benefits in hindi (लाभ)
ध्यान के लिए उत्तम आसन है । मन की एकाग्रता एवं प्राणोत्थान में सहायक है । जठराग्रि को तीव्र करता है । वातव्याधि में लाभदायक है ।
paschimottanasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 12 paschimottanasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/paschimottanasana-in-hindi.jpg)
पश्चिमोत्तानासन
paschimottanasana steps in hindi (विधि)
दण्डासन में बैठकर दोनों हाथों के अंगुष्ठों एवं तर्जनी की सहायता से पैरों के अंगूठों को पकड़ें । श्वास बाहर निकालकर सामने झुकते हुए सिर को घुटनों के बीच लगाने का प्रयत्न करें । पेट को उड्डीयान बन्ध की स्थिति में रख सकते हैं । घुटने – पैर सीधे भूमि पर लगे हुए तथा कोहनियां भी भूमि पर टिकी हुई हों । इस स्थिति में शक्ति के अनुसार आधे से तीन मिनट तक रहें । फिर श्वास छोड़ते हुए वापस सामान्य स्थिति में आ जायें । इस आसन के बाद इसके प्रतियोगी आसन भुजांगान एवं शलभासन करने चाहिए ।
paschimottanasana benefits in hindi(लाभ)
पृष्ठभाग की सभी मांसपेशियां विस्तृत होती हैं । पेट की पेशियों में संकुचन होता है । इससे उनका स्वास्थ्य सुधरता है । ‘ हठयोगप्रदीपिका ‘ के अनुसार यह आसन प्राणों को सुषुम्णा की ओर उन्मुख करता है , जिससे कुण्डलिनी – जागरण में सहायता मिलती है । जठराग्रि को प्रदीप्त करता है । एवं वीर्य संबंधी विकारों को नष्ट करता है । कद – वृद्धि के लिए यह महत्त्वपूर्ण आसन है ।
makarasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 13 makarasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/makarasana-in-hindi.jpg)
मकरासन
makarasana steps in hindi (विधि)
पेट के बल लेट जायें । दोनों हाथ को मोड़ते हुए विपरीत दिशा की भुजाओं पर रखें । माथा दोनों हाथों पर टिका कर रखें । पैरों में लगभग 1 फुट का फासला होना चाहिए । शरीर को शव की भांति शिथिल छोड़ दें । इस आसन में लेटते हुए आप शव जैसा अनुभव करें तथा विवेकपूर्वक चिन्तन करें । मनन करते हुए अपने आपको आत्मकेन्द्रित मैं इस शरीर से पृथक शुद्ध – बुद्ध आनन्दमय एवं अविकारी चैतन्य आत्मा हूं । यह शरीर तो नश्वर है । यह शरीर पंचतत्त्वों का समूह – मात्र है । समय आने पर यह उन्हीं पंचतत्त्वों में विलीन हो जाता है । यह शरीर एवं अन्य सम्पत्तियां यहीं रह जाती है । न हम कुछ साथ लेकर आये और न ही कुछ साथ लेकर जायेंगे । इस प्रकार अपने चित्त को इस नश्वर संसार से हटाते हुए अनन्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त अनन्त ब्रह्म में अपने आपको समाहित समर्पित करते हुए अखंड आनन्द की अनुभूति करें ।
makarasana benefits in hindi (लाभ)
यह विश्राम का आसन है । विश्राम में केवल शारीरिक ही नहीं , मानसिक रूप से भी व्यक्ति अपने – आपको हल्का अनुभव करता है । उच्च रक्तचाप , मानसिक तनाव एवं अनिद्रा से मुक्ति मिलती है । आसनों को करते समय बीच – बीच में विश्राम के लिए इसको करना चाहिए । इससे पेट की आंतों की स्वाभाविक मालिश हो जाती है , जिससे वे सक्रिय होकर मन्दाग्रि आदि विकारों को दूर करती हैं । हाथों को ‘ पैसिव स्ट्रेचिंग कंडीशन ‘ में होने से ‘ पैरा सैम्पैथेटिक नर्ज ‘ प्रभावित होती हैं , जिससे शरीर को शिथिल छोड़ने में सहायता मिलती है । हृदय को गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कार्य न करने के कारण विश्राम मिलता है । अन्तःस्रावी ग्रन्थियां लाभाविन्त होती हैं ।
chakrasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 14 chakrasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/chakrasana-in-hindi.jpg)
चक्रासन
chakrasana steps in hindi (विधि)
पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़ें । एड़ियां नितम्बों के समीप लगी हुई हों । दोनों हाथों को उल्टा करके कंधों के पीछे थोड़े अन्तर पर रखें , इससे सन्तुलन बना रहता है । श्वास अन्दर भरकर कटिप्रदेश एवं छाती को ऊपर उठायें । धीरे धीरे हाथ एवं पैरों को समीप लाने का प्रयत्न करें , जिससे शरीर की चक्र जैसी आकृति बन जाये । आसन से वापस आते समय शरीर को ढीला करते हुए कमर भूमि पर टिका दें । इस प्रकार 3 से 4 आवृत्ति करें ।
chakrasana benefits in hindi (लाभ)
रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाकर वृद्धावस्था नहीं आने देता । जठर एवं आंतों को सक्रिय करता है । शरीर में स्फूर्ति , शक्ति एवं तेज की वृद्धि करता है । कटिपीड़ा , श्वासरोग , सिर – दर्द , नेत्र विकारों , सर्वाइकल एवं स्पोण्डोलाइटिस में यह विशेष हितकारी है । हाथ – पैरों की मांसपेशियों को सबल बनाता है । महिलाओं के गर्भाशय के विकारों को दूर करता है ।
markatasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 15 markatasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/markatasana-in-hindi.jpg)
मर्कटासन
markatasana steps in hindi (विधि)
सीधे लेटकर दोनों हाथों को कंधों के समानान्तर फैलायें । हथेलियां आकाश की ओर खुली हों । फिर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर नितम्ब के पास रखें । अब घुटनों को दायें ओर झुकाते हुए दायें घुटने को भूमि पर टिका दें । बायां घुटना दायें घुटने पर टिका हुआ हो तथा दायें पैर की एड़ी पर बायें पैर की एड़ी टिकी हुई हो । गर्दन को बायीं ओर घुमाकर रखें । इसी तरह से बायीं ओर से भी इस आसन को करें ।
markatasana benefits in hindi (लाभ)
कमर – दर्द , सर्वाइकल स्पोण्डोलाइटिस , स्लिप डिस्क एवं सियाटिका में विशेष लाभकारी आसन है । पेट – दर्द , दस्त , कब्ज एवं गैस को दूर करके पेट को हल्का बनाता है । नितम्ब तथा जोड़ के दर्द में विशेष लाभदायक है । मेरुदण्ड की सभी विकृतियों को दूर करता है ।
ustrasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 16 ustrasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/ustrasana-in-hindi.jpg)
उष्ट्रासन
ustrasana steps in hindi (विधि)
वज्रासन की स्थिति में बैठें । अब एड़ियों को खड़ा करके उनपर दोनों हाथों को रखें । हाथों को इस प्रकार रखें कि उंगलियां अन्दर की ओर तथा अंगुष्ठा बाहर को हों । श्वास अन्दर भरकर सिर एवं ग्रीवा को पीछे मोड़ते हुए कमर को ऊपर उठायें । श्वास छोड़ते हुए एड़ियों पर बैठ जायें । इस प्रकार तीन – चार आवृत्ति करें ।
ustrasana benefits in hindi (लाभ)
यह आसन श्वसन – तन्त्र के लिए बहुत लाभकारी है । फेफड़ों के प्रकोष्ठ को सक्रिय करता है , जिससे दमा के रोगियों को लाभ होता है । सर्वाइकल , स्पोण्डोलाइटिस एवं सियाटिका आदि समस्त मेरुदण्ड के रोगों को दूर करता है । थायराइड के लिए लाभकारी है ।
trikonasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 17 trikonasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/trikonasana-in-hindi.jpg)
त्रिकोणासन
trikonasana steps in hindi (विधि)
दोनों पैरों के बीच में लगभग डेढ़ फुट का अन्तर रखते हुए सीधे खड़े हो जायें । दोनों हाथ कन्धों के समानान्तर पार्श्वभाग में खुले हुए हों । श्वास अन्दर भरते हुए बायें हाथ को सामने से लेते हुए बायें पंजे के पास भूमि पर टिका दें , अथवा हाथ को एड़ी के पास लगायें तथा दायें हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को दायीं ओर घुमाते हुए दायें हाथ को देखें । फिर श्वास छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आकर इसी अभ्यास को दूसरी ओर से भी करें ।
trikonasana benefits in hindi (लाभ)
कटिप्रदेश लचीला बनता है । पार्श्वभाग की चर्बी को कम करता है । पृष्ठांश की मांसपेशियों पर बल पड़ने से उनकी संरचना सुधरती है । छाती का विकास होता है ।
siddhasana in hindi
![17 types of yogasana in hindi 18 siddhasana in hindi](https://www.girisheducation.in/wp-content/uploads/2020/08/siddhasana-in-hindi.jpg)
सिद्धासन
siddhasana steps in hindi (विधि)
दण्डासन में बैठकर बायें पैर को मोड़कर एड़ी को सीवनी पर ( गुदा एवं उपस्थेन्द्रिय के मध्य भाग में ) लगायें । दायें पैर की एड़ी को उपस्थेनिन्द्रय के ऊपर वाले भाग पर स्थिर करें । बायें पैर के टखने पर दायें पैर का टखना होना चाहिए । पैरों के पंजे , जंघा और पिण्डली के मध्य रहें । घुटने जमीन पर टिके हुए हों । दोनों हाथ ज्ञानमुद्रा ( तर्जनी एवं अंगुष्ठा के अग्रभाग को स्पर्श करके रखें , शेष तीन उंगलियां सीधी रहें ) की स्थिति में घुटने पर टिके हुए हों । मेरुदण्ड सीधा रहे । आंखें बन्द करके भ्रूमध्य में मन को एकाग्र करें।
siddhasana benefits in hindi (लाभ)
सिद्धों द्वारा सेवित होने से इसका नाम सिद्धासन है । ब्रह्मचर्य की रक्षा करके ऊर्ध्वरता बनाता है । काम के वेग को शान्त कर मन की – चंचलता दूर करता है । कुण्डलिनी – जागरण हेतु उत्तम आसन है । बवासीर तथा यौन रोगों के लिए लाभप्रद है.