The Subconscious Mind Power With Example

The Subconscious Mind Power With Example

The Subconscious Mind Power With Example

आपका मस्तिष्क कैसे काम करता है

आपका मस्तिष्क आपकी सबसे कीमती संपत्ति है। यह हमेशा आपके साथ है, लेकिन इसकीं सबसे अदृभुत शक्तिया आपको तभी मिल पाएँगी, जब आप इसका उपयोग करना सीख लेंगे । जैसा हम देख चुक हैं, आपके मस्तिष्क के दो स्तर हैं – चेतन या तार्किक स्तर और अवचेतन या अतार्किक स्तर । आप अपने चेतन मन से विचार करते हैं ।

आपके आदतन बिचार आपके अवचेतन मन में उतर जाते हैं, जो आपके विचारों की प्रकृति के अनुरूप परिस्थितिया बनाता है । आपका अवचेतन मन आपकी भावनाओँ का स्थान है । यह रचनात्मक है । अगर आप अच्छा सोचते हैं, तो आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे; अगर आप बुरा सोचते हैं, तौ आपको बुरे परिणाम मिलेंगे । आपका मस्तिष्क इसी तरह काम करता है । 

याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है : जब Subconscious Mind (अवचेतन मन) किसी विचार को स्वीकार कर लेता है, तो वह इस पर काम करने लगता हैं। आश्चर्यजनक और सूक्ष्म सत्य यह है कि अवचेतन मन का नियम अच्छे तथा बुरे दोनों तरह के विचारों पर समान रूप से काम करता है ।

अगर इस नियम का नकारात्मक प्रयोग किया जाए, तो यह असफलता, कुंठा और दुख उत्पन्न करता है । दूसरी तरफ़, अगर आपकी आदतन सोच सदभावनापूर्ण और सृजनात्मक है, तो आपको आदर्श सेहत, सफ़लता और समृद्धी मिलती है । 

जब आप सही तरीके से सोचने ओर महसूस करने लगते हैं, तो आपको मानसिक शांति और स्वस्थ शरीर हमेशा मिलते हैं । आप मानसिक रूप सै जिसे मी सच मानेंगे और जिसका दावा करेंगे, आपका अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेगा और उसे साकार कर देगा ।

तो बस अपने अवचेतन मन से अपने विचार को स्वीकार भर करवाना है । इसके बाद Subconscious Mind (अवचेतन मन) का नियम आपकी मनचाही सेहत, शांति और समृद्धि उत्पन्न कर देगा। आप आदेश देते हैं और आपका अवचेतन उस पर छोडी गई वैचारिक छाप को साकार करने के लिए पूरी निष्ठा से काम करता है । 

आपके मस्तिष्क का नियम यह है : आपके Subconscious Mind की प्रतिक्रिया आपक चेतन मन में रखे गए बिचार की प्रकृति से तय होती है। 

मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषक बताते हैँ कि जब बिचार आपके Subconscious Mind तक पहुँच जाते हैं, तो मस्तिष्क की कोशिकाओं में उनकी छाप बन जाती है। जैसै ही आपका अवचेतन किसी विचार को स्वीकार कर लेता है, यह उसे साकार करने में तत्काल जुट जाता है । विचारों कै साहचर्य के अनुसार काम करके यह अपने लक्ष्य को साकार करने के लिए ज्ञान के हर उस हिस्से का इस्तेमाल करता है, जो आपने जिंदगी भर इकटूठा किया है।

यह आपके भीतर की असीमित शक्ति, ऊर्जा और बुद्धि का इस्तेमाल करता है। परिणाम पाने के लिए यह प्रकृति के सभी नियमों का इस्तेमाल करता है। कई बार यह आपकी मुश्किलों का समाधान तत्काल खोज लेता है, जबकि कई बार कई दिनों, सप्ताहों या इससे भी ज्यादा समय लग सकता है । इसके तरीके अबूझ हैं। 

चेतन और अवचेतन में मिन्नताए

आपको याद रखना चाहिए कि चेतन ओर अवचेतन दो मस्तिष्क नहीं हैं। वे तो एक ही मस्तिष्क में होने वाली गतिविधियों के दो क्षेत्र हैं । आपका चेतन मन तार्किक मस्तिष्क है। यह मस्तिष्क का वह हिस्सा हैं, जो विकल्प चुनता है । उदाहरण के लिए, आप अपनी पुस्तकें, अपना घर, अपना जीवनसाथी चुनते हैं ।

आप अपने सारे निर्णय चेतन मन से करते हैं । दूसरी तरफ़, आपके सचेतन चुनाव के बिना ही आपका हृदय अपने आप काम करता है और पाचन, रक्त संचार तथा सांस लेने की अनिवार्य प्रक्रियाएँ चलती रहती हैं । ये सारे काम आपका Subconscious Mind करता हैं । इन प्रक्रियाओं कै लिए आपके चेतन नियंत्रण की ज़रूरत नहीं होती हैं। 

आप अपने Subconscious Mind पर जो भी छाप छोडते हैं या आप जिसमें भी प्रबल बिश्वास करते हैं, आपका Subconscious Mind उसे स्वीकार कर लेता है। यह आपके चेतन मन कीं तरह तर्क नहीं करता है या बहस नहीं करता है। 

आपका Subconscious Mind उस मिट्टी की तरह है, जो किसी भी तरह के बीज को  स्वीकार कर लेती है, चाहे वह अच्छा हो या बुरा । आपक बिचार सक्रिय हैं । वे बीज हैँ । नकारात्मक या बिध्वंसात्मक विचार आपके Subconscious Mind में नकारात्मक रूप सै काम करते हैं । दैर-सबेर वे प्रकट हो जाएँगे और अपने अनुरूप किसी नकारात्मक घटना को उत्पन्न कर देंगे ।

 याद रखें, आपका Subconscious Mind यह साबित करने की कोई कोशिश नहीं करता है कि आपकै विचार अच्छे हैं या बुरे, सही हैं या ग़लत । यह तो आपकै विचारों या सुझावों की प्रकृति कै अनुरूप प्रतिक्रिया करता है । उदाहरण कै लिए, अगर आप किसी झूठी चीज़ को भी चेतन रूप से सच मान लें, तो आपका Subconscious Mind इसे सच मान लेगा और उसके अनुरूप परिणाम देने लगेगा, क्योंकि आपने चेतन रूप से इसे सच मान लिया था । 

मनोवैज्ञानिकों के प्रयोग 

मनोवैज्ञानिकों और अन्य शोधकर्ताओं ने बहुत से सम्पोहित लोगों पर प्रयोग किए हैं । उनके शोध से यह स्पष्ट हो जाता हैं कि Subconscious Mind कोई चयन या तुलना नहीं करता है, जो तार्किक प्रक्रिया के लिए जरूरी है। आपका Subconscious Mind किसी भी सुझाव को स्वीकार कर लेगा, भले ही वह सरासर झूठा हो। और सुझाव मानने के बाद यह उसकी प्रकृति के अनुसार प्रतिक्रिया करेगा। 

आपका Subconscious Mind कितना सूझावशील हैं, यह समझने के लिए एक उदाहरण देखें । अगर कोई सम्मोहन विशेषज्ञ किसी को यह सुझाव दे कि वह नेपोलियन बोनापार्ट है या कुत्ता या बिल्ली है, तो वह व्यक्ति पूरी सटीकता से उस भूमिका को निभाने लगेगा। कुछ समय के लिए उसका पूरा व्यक्तित्व बदल जाएगा । वह व्यक्ति खुद को वही मान लेगा, जिसका सुझाव सम्मोहन विशेषज्ञ ने दिया है । 

निपुण सम्मोहन विशेषज्ञ की अवस्था में अपने किसी विद्यार्थी को यह सुझाव दे सकता है कि वह अपनी पीठ खुजाए, दूसरे को यह सुझाव दे सकता है कि उसकी नाक से खुन बह रहा हैं, तीसरे को यह सुझाव दे सकता है कि वह संगमरमर की मूर्ति हैं तथा चौथे को यह सुझाव दे सक्ता है कि तापमान शून्य से कम है ओर वह बर्फ की तरह जम गया है ।

हर विद्यार्थी उसे दिए गए विशिष्ट सुझाव के अनुरूप काम करेगा । वह उन सभी परिस्थितियों को नज़रअंदाज़ कर देगा हैगा, जो उस सम्मोहन के सुझाव के अनुरूप न हों । 

यह आसान उदाहरण आपक चेतन मन या तार्किक मस्तिष्क ओर आपके Subconscious Mind के अंतर को रेखांकित करता है । आपका अवचेतन मा भाववाचक और चयनहीन है । यह हर उस चीज़ को सच मान लेता है, जिसे आपका चेतन मन सच मानता है ।

इसलिए यह महत्वपूर्ण हैं कि आप ऐसे विचार ओर आधार वाक्य चुनै, जो आपको सुख पहुंचाएँ, आपका उपचार करें और आपकी आत्मा को खुशी से भरें । 

यथार्थवादी और कल्पनावादी का स्पष्टीकरण 

चेतन मन को कई वार यथार्थवादी मन कहा जाता हैं, क्योंकि इसका संबंध बाहरी वस्तुओं से होता हैं। यथार्थवादी मन (objective mind) बाहरी दुनिया के प्रति जागरूक रहता है । इसके अवलोकन के साधन आपकी पाँच शारीरिक इंद्रियों हैं ।

आपका यथार्थवादी मन आपके परिवेश से संपर्क का मार्गदर्शक और निर्देशक है। आप अपनी पॉच इंद्रियों के ज़रिये ज्ञान हासिल करते हैं । आपका यथार्थवादी मन अवलोकन, अनुभव और शिक्षा से सीखता है। जैसा पहले बताया जा चुका है, यथार्थवादी मन का सबसे बड़ा कार्य तर्क करना है । 

मान लें, आप उन हजारों लाखों पर्यटकों में सै एक हैं, जो हर साल ग्रांड कैनयॉन की सैर करते हैं । आप इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि यह दुनिया के सबसे अदभुत प्राकृतिक आश्चर्यों में से एक है । यह निष्कर्ष इसकी अविश्वसनीय गहराई, चटटानों के जटिल आकार, भिन्न थिन्न स्थानों पर रंगों की अदभुत चित्रकारी के अवलोकन पर आधारित होगा । यह आपके यथार्थवादी मन का काम हैं।

Subconscious Mind को अक्सर कल्पनावादीं मन (subjective mind) भी कहा जाता है। आपका कल्पनावादी मन अपने माहोल के प्रति जागरुक तो होता है, लेकिन शारीरिक इंद्रियों के माध्यम से नहीं । आपका Subconscious Mind अंतर्ज्ञान से महसूस करता हैं।

यह आपकी भावनाओं का स्थान और यादों का भंडार है । आपका कल्पनावादी मन अपने उच्चतम कार्य तब करता है, जब आपकी यथार्थवादी इंद्रिया काम न कर रहीं हो । दूसरे शब्दों में, जब यथार्थवादी मन शिथिल हो या उनींदी अवस्था में हो, तब कल्पनावादी बुद्धि सबसे अच्छी तरह काम करती है । 

आपका कल्पनावादी मन आँखों की इंद्रिय के बिना देखता है। यह अत्तीन्दिय क्षमता है। यह कहीं और हो रही घटनाओं को देख व सून सकता हैं। आपका कल्पनावादी मन आपके शरीर से बाहर निकलकर दूर देशों की यात्रा कर सकता है और अक्सर बहुत सटीक तथा सच्ची जानकारी ला सकता है । कल्पनावादी मन के माध्यम से आप दूसरों के विचार जान सकते हैं, बंद चिट्रिठयों कं मज़मून पढ़ सकते हैं या कम्प्य़ूटर डिस्क पर डिस्क ड्राइव के प्रयोग के बिना जानकारी भांप सकते हैं । 

जब आप अपने यथार्थवादी और कल्पनावादी मन की आपसी कार्यविधि को समझ लेते हैं, तो आप प्रार्थना की सच्ची क्ला सीखने की बेहतर स्थिति में पहुँच जाते हैं । 

अवचेतन मन चेतन मन की तरह तर्क नही कर सकता 

आप अपने Subconscious Mind को चाहे जो बताएँ, उसमें बहस या विरोध करने की क्षमता नहीँ होती । अगर आप इसे ग़लत जानकारी देंगे, तो भी यह उसे सच मान लेगा । फिर यह उस जानकारी को सही बनाने के लिए काम करेगा । यह आपके गलत सुझावों को भी परिस्थितियों, अनुभवों ओर घटनाओं में साकार कर देगा । 

आपके साथ जो भी हुआ है, इसलिए हुआ है क्योंकि आपने विश्वास के माध्यम से अपनै Subconscious Mind पर उसकी छाप छोडी है । अगर आपने ग़लत संप्रेषण किया है या अपने Subconscious Mind तक विकृत अवधारणाएँ पहुँचाई हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द सुधारना सबसे महत्वपूर्ण है । इसे करने का सबसे निश्चित तरीका अपने अवचेतन मन को लगातार सृजनात्मक और सदूभाबनापूर्ण विचार देते रहना है ।

बार बार दोहराने पर आपका Subconscious Mind इन्हें स्वीकार कर लेता है । इस प्रकार आप विचार और जीवन की नई तथा ज्यादा अच्छी आदतें हाल सकते हैं, क्योंकि आपका अवचेतन मन आदत का स्थान हैं । 

आपके चेतन मन के आदतन विचार आपके अवचेतन मन में गहरे खाँचे बना देते हैं । अगर आपके ये बिचार सदृभावनापूर्ण, शांत ओर सृजनात्मक हैं, तो आपका Subconscious Mind प्रतिक्रिया करते हुए सदृभाव, शांति और सृजनात्मक परिस्थितिया उत्पन्न करेगा । 

क्या आप डर, चिंता और अन्य प्रकार की विनाशक सोच के शिकार हैं ? इलाज है अपने अवचेतन मन की शक्ति को पहचानकर उसे स्वतंत्रता, खुशी और संपूर्ण स्वास्थ्य के आदेश देना ।

आपका Subconscious Mind रचनात्मक है और दैवी स्त्रोत के साथ एकरूप है । यह उस स्वतंत्रता, खुशी और संपूर्ण स्वास्थ्य को उत्पन्न करने लगेगा, जिसका आदेश आपने पूरे विश्वास से दिया है। 

सुझाव की ज़बर्दस्त शक्ति 

हमने अब तक जिन बातो पर विचार किया है, उनसे आप देख सकते हैं किं आपका चेतन मन “द्वारपाल” की तरह है।इसका एक वहुत महत्वपूर्ण कायं ग़लत सुझावों से आपके अवचेतन मन की रक्षा करना है । यह इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मस्तिष्क के एक मूलभूत नियम पर आधारित है : आपका अवचेतन मन सुझाव के प्रति बेहद संवेदनशील है । 

जेसा आप जानते हैं, आपका Subconscious Mind तुलना या विरोध नहीं कर सकता है । यह तर्क-वितर्क नहीं कर सकता है और खुद कुछ नहीं सोच सक्ता है। ये सभी काम चेतन मन कै हैं। Subconscious Mind तो बस चेतन मन द्वारा इस पर छोडी गई छापों पर प्रतिक्रिया करता हे । यह कार्यं की अलग-अलग दिशाओ में से किसी एक को नहीं चुन सकता है। इसे तो जो दिया जाता है, यह उसे ले लेता है । 

सुझाव में बहुत शक्ति होती है । कल्पना करें कि आप किसी ऐसे जहाज़ पर हैं, जो थोडा हिल रहा है। आप एक भयभीत सहयात्री के पास जाकर कहते हैं, “आपकी हालत अच्छी नहीं दिख रही हैं । आपका चेहरा बिलकुल हरा लग रहा है! मुझे लगता हैं कि आपको समुद्री यात्रा में होने वाली मतली हो सकती है। क्या मैं आपको कैबिन तक पहुंचा दूँ ?” 

यात्री का चेहरा पीला पड जाता हैं । आपने मतली के बारे में जो सूझाव अभी-अभी दिया हैं, वह उसके खुद के डर और आशंका से मेल खाता हैं । वह आपकी मदद लेकर डेक से नीचे अपने कैबिन में पहुँच जाती है। वहाँ पहुँचने पर आपका नकारात्मक सुझाव, जिसे उसने सही मान लिया था, सच हो जाता है। 

उसी सुझाव पर भिन्न प्रतिक्रिया 

यह समझना बहुत ज़रूरी है कि एक ही सूझाव पर अलग अलग लोग अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया करेंगे । ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि उनकें विश्वास या अवत्तेतन की कंडीशनिंग अलग अलग होती है । 

मान लें, सहयात्री के बजाय आप किसी जहाजी कै पास जाकर कहते हैं, “हैलो, आपकी हालत ठीक नहीं दिख रही है । कहीं आपको समुद्री यात्रा के कारण मतली तो नहीं आने वाली है ?” 
यह जहाजी के मिजाज़ पर निर्भर करता है कि वह आपके लचर मजाक पर हँसे या आपको वहाँ से दफा होने को कह दे। आपके सूझाव का उस पर कोई असर नहीं हूआ, क्योंकि उसके मन में यह विश्वास है कि समुद्रो यात्रा में उसे कभी मतली नहीं हो सकती । इस कारण उसे ज़रा भी डर या चिंता महसूस नहीं होगी, उल्टे आत्मविश्वास सामने आएगा । 

डिक्शनरी आपको बता देगी कि सूझाव (suggestion) किसी चीज़ को किसी कें मस्तिष्क में डालने का काम है । यह वह मानसिक प्रक्रिया है, जिससे सुझाया गया विचार स्वीकार किया जाता है या कार्यरूप में परिणित होता है । याद रहे, कोई भी सुझाव चेतन मन की इच्छा के बिना Subconscious Mind पर छाप नहीं छोढ़ सकता। आपके चेतन मन में उस सूझाव को अस्वीकार करने की शक्ति होती है। 

जहाजी को समुद्री यात्रा के कारण मतली का कोई डर नहीं था । उसे पूरा भरोसा था कि वह इससे सुरक्षित है, इसलिए नकारात्मक सुझाव में उसे डराने की शक्ति नहीँ थी। लेकिन आपकी सहयात्री पहले से ही बीमार होने के बारे में चिंतित थी। इसलिए आपके सुझाव के अनुरूप परिस्थितियां बन गई । 

हम सबके अपने अदरूनी डर, मान्यताएं, राय होती हैं। ये अदरूनी मान्यताएँ हमारे जीवन को नियंत्रित करती हैं । सुझाव में स्वयं की कोई शक्ति नहीं होती है। इसकी शक्ति तो इस बात से उत्पन्न होती है कि आप इसे मानसिक रूप से स्वीकार कर लेते हैं। सिर्फ तभी आपकी अवचेतन शक्तियां सुझाव की प्रकृति के अनुरूप काम करती हैं। 

आत्म-सुझान ने डर को किस तरह भगाया 

आत्म सूझाव (self-suggestion) का मतलब है खुद को किसी निश्चित और विशिष्ट बात का सुझाव देना । हर साधन की तरह इसके भी ग़लत प्रयोग से नुक़सान हो सकता है, लेकिन सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह बहुत उपयोगी बन सकता है । 

जेनेट आर. एक प्रतिभावान युवा गायिका थी । उसे ओपेरा प्रोडक्शन में एक महत्वपूर्ण भूमिका के आडिशन के लिए जाना था । वह ओडिशन के लिए, बेताब तो थी, लेकिन आशंकित भी थी । 

पहले भी तीन बार उसने निर्देशकों के सामनै ओडिशन दिया था, लेकिन बुरी तरह असफल ही गई यी । कारण असफल होने का डर था । उसकी आवाज अच्छी थी, लेकिन वह खुद से कहती रहती थी, “जब गाने का वक्त आएगा, तो मैं बुरा गाऊंगी । मुझे वह भूमिका कभी नहीं मिलेगी। वे मुझे पसंद नहीं करेंगे । वे सोचेंगे कि मैंने कोशिश करने की हिम्मत भी कैसे की । मैं आेडिशन देने तो जाऊंगी, लेकिन मैं जानती हू कि मैं असफ़ल हो जाऊंगी ।” 

उसके Subconscious Mind ने इन नकारात्मक आत्म सुझावों को आग्रह मान लिया । यह उन्हें सच साबित करने में जुट गया और उन्हें परिस्थितियों में बदल दिया । कारण अनचाहा आत्म सुझाव था । उसका डर हकीकत में बदल गया और उसक विचार सच हो गए। 

यह युवा गायिका आखिरकार अपने नकारात्मक आत्म-सुझार्वो से उबरने में सफल हुई । उसने सकारात्मक आत्म-सूझावॉ के माध्यम से उनका विरोध करके यह काम किया। हर दिन तीन बार वह एक शांत कमरे में अकेली जाती थी ।

वह एक कुर्सी पर आराम सै बैठ जाती थी, अपने शरीर को ढीला छोड देती थी और आँखें बंद कर लेती थी । वह अपने मस्तिष्क और शरीर को यथासंभव स्थिर कर लेती थी । शारीरिक निष्कियता मानसिक निष्कियता को प्रेरित करती है और मस्तिष्क को सुझाव के प्रति अघिक ग्रहणशील बना देती है । 

डर के सुझाव का प्रतिकार करने के लिए वह खुद से बार-बार कहती थी, “मैं बहुत अच्छा गाती हूँ । में शांत, संतुलित, आत्मविश्वासी हुँ ।” हर बार वह इस कथन को धीरे-धीरे, शांति से और भावना के साथ पॉच से दस बार दोहराती यी। वह दिन में तीन बार यह काम करती थी और एक बार रात को सोने से ठीक पहले । 

एक सप्ताह बाद वह बहुत शांत और आत्मविश्वासी ही गई । जब निर्णायक दिन आया, तो उसने बहुत बढिया ओडिशन दिया और उसे भूमिका मिल गई ।

उसकी याद कैसे लौटी 

पचहत्तर साल की एक महिला को हमेशा से अपनी याददाश्त पर गर्व था । हालांकि बाकी सबकी तरह वह भी कभी-कभार चीजें भूल जाती थी, लेकिन वह इस तरफ़ ध्यान नहीं देती थी । बहरहाल, जब उसकी उम्र बढी, तो वह भूलने के मौकों पर ध्यान देने लगी और उनके बारे में चिंता करने लगी । जब भी वह कोई चीज़ भूल जाती थी, तो हर बार खुद से कहती थी, “बुढापे के कारण मेरी याददाश्त कमजोर होती जा रही है।” 

इस नकारात्मक आत्म-सुझाव के कारण वह और ज्यादा नाम तथा घटनाएं भूलने लगी । वह हताश हो गई। सौभाग्य से, उसे यह एहसास हो गया कि वह खुद को किस तरह नुकसान पहुचा रही है । उसने इस प्रक्रिया को उलटने का संकल्प किया । 

जब भी वह सोचने लगती थी, “मेरी याददाश्त कमजोर होती जा रही है,” तो वह रुक जाती थी। यही नहीं, वह जान-बूझकर इस प्रक्रिया को उलट देती थी। 

दिन में कई बार वह सकारात्मक आत्म-सुझाव का अभ्यास करती थी। वह खुद से कहती थी :
आज से मेरी याददाश्त हर तरह से सुधर रही हे। मुझे जो भी याद रखना चाहिए, वह मुझे हर पल, हर जगह, हमेशा याद रहेगा। मुझे घटनाएँ स्पष्टता से याद रहेगी । में जो भी याद करना चाहूँगी, वह मुझे तत्काल याद आ जाएगा। मुझमें हर दिन तेजी से सुधार हो रहा हें। बहुत जल्दी मेरी याददाश्त पहले से वहुत अच्छी हो जाएगी। तीन हफ्ते बाद उसकी याददाश्त सामान्य हो गई। 

उसने किस तरह बुरे स्वभाव पर काबू पाया 

एक व्यक्ति मेरे पास परामर्श लेने आया । उसका वैवाहिक जीवन और कैरियर दोनो ही गंभीर संकट में थे । हयू डी. की समस्या यह थी कि वह बहुत चिडचिडा और गुस्सेल था । वह इसके बारे में खुद चिंतित था, लेकिन अगर कोई दूसरा इस बारे में उससे बात करने की कोशिश करता था, तो वह आगबबूला हो उठता था। वह खुद से बार-बार कहता था कि सब लोग उसे सता रहे थे और उसे उनसे अपनी रक्षा करनी थी । 

इस नकारात्मक आत्म-सुझाव को दूर करने के लिए मैंने उसे सकारात्मक आत्म सुझाव का प्रयोग करने की सलाह दी । दिन में कई बार सुबह, दोपहर ओर रात को सोने से पहले – उसे खुद से बार बार यह कहना था :

आगे से में ज्यादा अच्छे स्वभाव का बनूँगा। अब मेरी सामान्य मनोदशा खुशी, सुख और खुशमिजाजी की हो रहीँ है। हर दिन में अधिक प्रेम करने काबिल औंर समझदार बन रहा हूँ। में अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए आनंद और सदभावना का केंद रहूँगा तथा अपने अच्छे व्यवहार से उन्हें खुश कर दूँगा। यह सुखद, खुशनुमा स्वभाव अब मेरी सामान्य, सहज मानसिक स्थिति बन रही हे। में एहसानमंद हूँ। एक महीने के बाद उसकी पत्नी और सहकर्मी कहने लगे कि हम उसके साथ रहना बहुत अच्छा हो गया है

याद रखने लायक विचार 

1. अच्छा सोचेंगे, तो अच्छा होगा। बुरा सोचेंगे, तो बुरा होगा । आप वही बनेगे, जो आप दिन भर सोचते हैं।

2. आपका अवचेतन मन आपके साथ बहस नहीं करता है। यह आपके चेतन मन के आदेश को चुपचाप मान लेता है। अगर आप कहते हैं, “मैं इसका का खर्च नहीं उठा सकता”, तो आपका अवचेतन इसे सच बनाने के लिए काम करने लगता है। कोई ज्यादा अच्छा विचार चुनें। इसके बजाय इसे यह आदेश दे , ” मैं इसे खरीदूगा । मैं इसे अपने मन में स्वीकार करता हूं ।”

3. आपके पास चुनने की शक्ति है । स्वास्थ्य ओर खुशी को चुनें । आप दोस्ताना या .गैर दोस्ताना होने का चुनाव कर सकते हैं । सहयोगी, खुश, दोस्ताना, प्रेम करने योग्य बनने का चुनाव करेंगे, तो सारा संसार प्रतिक्रिया करेगा । अदभुत व्यक्तित्व विकसित करने का यह सबसे अच्छा तरीका है । 

4. आपका चेतन मन “द्वारपाल” है । इसका प्रमुख काम झूठी छापों से आपके अवचेतन मन की रक्षा करना है । यह विश्वास करने का चुनाव करें कि कोई अच्छी चीज़ हो सकती है और अभी हो रही है । चुनाव करने की क्षमता आपकी सबसे बडी शक्ति है । खुशी और प्रचुरता का चुनाव करें । 

5. दूसरों के सुझावों और बातों में आपको चोट पहुंचाने की ज़रा भी शक्ति नहीँ है । एकमात्र शक्ति आपके अपने विचारों में है । आप दूसरों के विचारों या सुझावों को अस्वीकृत करने का चुनाव कर सकते हैँ और अच्छे विचारों को दृढता सै कह सकते हैं । आपके पास यह चुनाव करने की शक्ति है कि आप कैसी प्रतिक्रिया करेंगे ।

6. अपने शब्दों पर ध्यान दें। आपको हर आलसी शब्द का हिसाब देना होगा । कभी यह न कहें, “मैँ असफ़ल हो जाऊँगा; मेरी नौकरी छूट जाएगी; मैं किराया नहीं चुका सकता ।” आपका अवचेतन मन मजाक़ नहीं समझ सकता । यह इन चीजों को हकीक़त में बदल देगा । 

7. आपका मस्तिष्क बुरा नहीं है । प्रकृति कीं कोई भी शक्ति बुरी नहीं होती है । यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप प्रकृति की शक्तियों का कैसा प्रयोग करते हैं । अपने मस्तिष्क का प्रयोग हर जगह सभी लोगों को वरदान देने, उपचार करने और प्रेरित करने कै लिए करें। 

8. कभी यह न कहैं, “में नहीं कर सकता ।” इस वाक्य की जगह पर आगे दिया वाक्य रखकर इस डर से उबरें : “में अपने अवचेतन मन की शक्ति से सारे काम कर सकता दूँ।” 

9 . डर, अज्ञान ओर अंधविश्वास के बजाय शाश्वत सत्यों ओर जीवन के सिद्धांतों कै दृष्टिकोण से सोचना शूरू करें । दूसरों को अपने लिए सोचने की अनुमति न दें । अपने विचार खुद चुनें और अपने निर्णय खुद लें । 

10. आप अपनी आत्मा (अवचेतन मन) के कप्तान हैं ओर अपनी तक़दीर कें मालिक हैं । याद रखें, आपके पास चुनने की क्षमता हैं । जिंदगी चुनै! प्रेम चुनै! सेहत चुने! खुशी चुने! 

11. आपका चेतन मन जिसे भी सच मानता है, आपका अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेगा और हकीकत बना देगा । खुशकिस्मती, देवी मार्गदर्शन, सहीं कर्म और जीवन की सभी नियामतो में बिश्वास करें ।

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