Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 7 Swadhyay (ધોરણ 8 હિન્દી અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય)

Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 7 Swadhyay
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Class 8 Hindi Sem 2 Chapter 7 Swadhyay. ધોરણ 8 હિન્દી સેમ 2 એકમ 7 અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય. ધોરણ 8 હિન્દી અભ્યાસ અને સ્વાધ્યાય.

कक्षा : 8

विषय : हिन्दी

एकम : 7. हार की जीत

सत्र : द्वितीय

अभ्यास

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

(1) खड्गसिंह का हृदय-परिवर्तन क्यों हुआ?

उत्तर : बाबा भारती ने खड्गसिंह से प्रार्थना की थी कि वह घोड़ा भले ही ले जाए, पर घोड़ा हथियाने की यह घटना किसीके सामने प्रकट न करे। जिस तरह छल-कपट करके उसने घोड़ा बाबा से छीना, उसे सुनकर लोग किसी गरीब पर विश्वास नहीं करेंगे।

बाबा भारती के ये शब्द डाकू खड्गसिंह के कानों में गूंजते रहे। उसे लगा कि बाबा आदमी नहीं, देवता हैं। उन्हें अपनी हानि की नहीं, गरीबों के नुकसान की चिंता है। ऐसे ऊँचे विचारोंवाले पुरुष को धोखा देकर उसने अच्छा नहीं किया। उसे उनका घोड़ा लौटा देना चाहिए। इस प्रकार खड्गसिंह का हृदय-परिवर्तन हुआ।

(2) “अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।” बाबा भारती ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर : खड्गसिंह ने गरीब और अपाहिज बनकर बाबा भारती को धोखा दिया था। उन्हें डर था कि इस घटना का पता चलने पर लोग गरीबों, दीन-दुःखियों और अपाहिजों पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन खड्गसिंह जिस शाम को बाबा भारती का घोड़ा ले गया, उसी रात को वह उसे बाबा के अस्तबल में बाँध गया था। अब खड्गसिंह की धोखेबाजी की बात फैलने का डर नहीं था। इसलिए बाबा भारती ने कहा कि अब गरीबों की सहायता से कोई मुँह नहीं मोड़ेगा।

(3) यदि बाबा भारती की जगह आप होते तो क्या करते?

उत्तर : यदि बाबा भारती की जगह मैं होता तो थाने में जाकर यह शिकायत दर्ज कराता की डाकू खड्गसिंह से मुझे खतरा है। वह मुझे, धमकी दे गया है कि वह मेरा घोड़ा मुझसे छीन ले जाएगा। उसकी धमकी के कारण मैं चौबीसों घंटे भयभीत रहता हूँ। पूरी रात घोड़े की रखवाली में बीत जाती है। अपने बचाव का मेरे पास कोई उपाय नहीं है। वह किसी भी समय मेरे घोड़ा उठा ले सकता है। मैं थानेदार साहब से प्रार्थना करता कि वह इस संबंध में ठोस कारवाई कर मुझे उस खतरनाक डाकू के भय से मुक्त करें।

(4) “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।” ऐसा बाबा भारती ने क्यों कहा?

उत्तर : बाबा भारती संत पुरुष थे। दीन-दुखियों के प्रति उनके हृदय में अपार करुणा थी। किसी अपाहिज की करुण पुकार सुनकर उनका हृदय पिघल जाता था। उनकी इसी दयालुता का लाभ उठाकर खड्गसिंह ने उन्हें धोखा दिया था। बाबा भारती को लगा कि अगर खड्गसिंह की इस धोखेबाजी का पता लोगों को लग जाएगा, तो वे किसी गरीब या दीन-दु:खी पर विश्वास नहीं करेंगे। फिर कोई किसी अपाहिज की मदद नहीं करेगा। यही सोचकर उन्होंने खड्गसिंह से उसकी धोखेबाजी से घोड़ा लेने की बात किसीके सामने प्रकट न करने के लिए कहा।

प्रश्न 2. मान लो आपके गाँव की बैंक में लूट हुई। लूट किस गलती के कारण हुई होगी? लूटेरे कौन हो सकते हैं? इस घटना का अनुमान लगाइए और लूट या चोरी से बचने के लिए क्या-क्या सावधानी रखनी चाहिए? अपने दोस्तों के साथ चर्चा कीजिए।

उत्तर :

रोहित – अरे मयंक, कल रात अपने गाँव की अभ्युदय बैंक में लूट की खबर तूने सुनी?

मयंक – हाँ सुनी।

दमन – बैंक में दो चौकीदार हैं, पर अक्सर इधर-उधर घूमते रहते हैं या अन्य काम करते रहते हैं। फिर लूट होना स्वाभाविक है।

रोहित – तुमने बिलकुल सच कहा।

मयंक – पर ये लुटेरे कौन हो सकते हैं?

दमन – वे ही हाँगे जिन्होंने नगर के मंदिर से मूर्तियाँ चुराई थीं।

रोहित – सेठ करोड़ीमल के घर में डाका डालनेवाले लोग भी हो सकते हैं।

मयंक – कोई भी हो, है बड़े शातिर और हिम्मतवाले।

दमन – चोर, डाकू, लुटेरे हिम्मतवाले तो होते ही हैं।

रोहित – पुलिस पिछले महीनों में हुई एक भी चोरी का पता नहीं लगा सकी।

मयंक – ऐसी घटनाओं से बचाव कैसे हो?

दमन – तीन तरीके हैं। बैंक अपने यहाँ सशस्त्र चौकीदार रखे। बैंक में एक-दो जासूस मौजूद रहें। बैंक में सी.सी.टीवी कैमरे लगाए जाएँ।

रोहित – हाँ, अब ऐसे उपाय किए बिना काम न चलेगा।

प्रश्न 3. परिच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

सोना अचानक आई थी, परंतु वह अब तक अपनी शैशवावस्था भी पार नहीं कर सकी थी। सुनहरे रंग का, रेशमी लच्छों की गाँठ के समान उसका कोमल लघु शरीर था, छोटा-सा मुँह और बड़ी-बड़ी पानीदार आँखें। देखती तो लगता था कि अभी छलक पडेंगी। लंबे कान, पतली सुडौल टाँगें, जिन्हें देखते ही प्रसुप्त गति की बिजली की लहर देखनेवालों की आँखों में कौंध जाती थी। सब उसके सरल, शिशु रूप से इतने प्रभावित हुए कि किसी चंपकवर्णा रूपसी के लिए उपयुक्त सोना, सुवर्णा आदि नाम उसका परिचय बन गए।

परंतु उस बेचारे हरिण-शावक की कथा तो मिट्टी की ऐसी व्यथा-कथा है, जिससे मनुष्य की निष्ठुरता गढ़ती है। बेचारी सोना भी मनुष्य की इसी निष्ठुर मनोरंजनप्रियता के कारण अपने अरण्य परिवेश और स्वजाति से दूर मानव-समाज में आ पड़ी थी। प्रशांत वनस्थली में जब अलस भाव से मंथन करता हुआ मृग-समूह शिकारियों की आहट से चौंककर भागा, तब सोना की माँ सद्यः प्रसूता होने के कारण भागने में असमर्थ रही। सद्यः जात मृग शिशु तो भाग नहीं सकता था। अतः मृगी माँ ने अपनी संतान को अपने शरीर की ओट में सुरक्षित रखने के प्रयास में अपने प्राण दिए।

(1) सही उत्तर दीजिए :

(क) सोनाहिरन का रंग कैसा था?

(A) लाल

(B) पीला

(C) सुनहरा

उत्तर : (C) सुनहरा

(ख) मृग-समूह किसकी आहट से चौंक कर भागा?

(A) पटाखें की

(B) शिकारियों की

(C) बादल की

उत्तर : (B) शिकारियों की

(2) रिक्त स्थान भरिए :

(क) सोना अब तक अपनी…………….भी पार नहीं कर सकी थी।

उत्तर : शैशवावस्था

(ख) हरिण-शावक की कथा तो मिट्टी की ऐसी…………..है, जिसे मनुष्य की निष्ठुरता गढ़ती है।

उत्तर : व्यथा-कथा

(3) इन शब्दों के अर्थ लिखिए :

(क) आहट

उत्तर : चाप

(ख) शैशवावस्था

उत्तर : शिशु की अवस्था, बचपन

(4) इन शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :

(क) लघु

उत्तर : विशाल, विराट

(ख) मानव

उत्तर :  हैवान

(5) हरिण-शावक सोना की शारीरिक बनावट कैसी थी?

उत्तर : हरिण-शावक सोना की शारीरिक बनावट रेशमी लच्छों की गाँठ के समान थी। उसका कोमल शरीर लघु था, मुँह छोटा-सा था और बड़ी-बड़ी आँखें पानीदार थीं।

प्रश्न 4. एक दिन बादशाह अकबर ने अपने दरबारियों से पूछा, “बताओ दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है?” दरबारियों का जवाब क्या होगा और बीरबल ने क्या कहा होगा? कहानी आगे बढ़ाइए।

उत्तर : दुनिया में सबसे अधिक शक्तिशाली कौन है? – अकबर के इस प्रश्न के उत्तर में किसी दरबारी ने हाथी को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया तो किसीने सिंह को। इस तरह दरबारियों ने अपने-अपने ढंग से जवाब दिए।

जब इसका उत्तर देने के लिए बीरबल कहा गया, तब उन्होंने सूरज को सबसे अधिक शक्तिशाली बताया। अकबर ने पूछा, “कैसे?” तब बीरबल ने यह कहानी सुनाई –

एक बार हवा, पानी और सूरज में बहस छिड़ी। तीनों स्वयं को सबसे अधिक शक्तिशाली बता रहे थे। एक देवदूत ने उन तीनों की बातें सुनीं। उसने कहा, “देखो, वह यात्री कोट पहने जा रहा है। जो उसका कोट उतरवा दे, वही सबसे अधिक शक्तिशाली है।”

सबसे पहले हवा आगे बढ़ी और तेज चलने लगी। उसने तूफानी रूप ले लिया। यात्री का कोट फड़फड़ाने लगा। उसने हाथ से कसकर कोट को पकड़ रखा। आखिर हवा ने हार मान ली। अब पानी ने अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी। जोर की बारिश होने लगी। यात्री पूरी तरह भीग गया, पर उसने कोट न निकाला। अंत में सूरज की बारी आई। इतनी तेज धूप निकली कि यात्री गर्मी सहन न कर सका। वह पसीना-पसीना हो गया। परेशान होकर उसने कोट उतार दिया। सबने सूरज की शक्ति का लोहा मान लिया। बादशाह ने भी बीरबल की बात का समर्थन किया।

स्वाध्याय

प्रश्न 1. दिए गए शब्दों की सहायता से रिक्त स्थान भरिए :

(1) खड्गसिंह उस इलाके का……….. डाकू था। (प्रसिद्ध, कुख्यात)

उत्तर : कुख्यात

(2) अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरों के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय……………हो गया था। (धीर, अधीर)

उत्तर : अधीर

(3) “बाबाजी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका……………… हूँ, केवल यह घोड़ा न दूंगा।” (दास, स्वामी)

उत्तर : दास

प्रश्न 2. किसने, किससे कहा?

(1) “दुर्गादत्त वैद्य का नाम सुना होगा। उनका सौतेला भाई हूँ।”

(अ) अपाहिज ने बाबा भारती से

(ब) बाबा भारती ने अपाहिज से

उत्तर : (अ) अपाहिज ने बाबा भारती से

(2) “लोगों को अगर इस घटना का पता लग गया, तो वे किसी गरीब का विश्वास न करेंगे।”

(अ) बाबा भारती ने खड्गसिंह से

(ब) खड्गसिंह ने बाबा भारती से

ऊतर : (अ) बाबा भारती ने खड्गसिंह से

प्रश्न 3. प्रश्नों के उत्तर एक – दो वाक्य में लिखिए :

(1) खड्गसिंह बाबा भारती के पास क्यों आया?

उत्तर : खड्गसिंह बाबा भारती के घोड़े को देखने की इच्छा से उनके पास आया।

(2) बाबा भारती किस बात से डर गए थे?

उत्तर : खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा था कि वह सुलतान को उनके पास नहीं रहने देगा। खड्गसिंह की इसी धमकी से बाबा भारती डर गए थे।

(3) सुलतान पर सवार खड्गसिंह ने बाबा भारती से क्या कहा?

उत्तर : सुलतान पर सवार खड्गसिंह ने बाबा भारती से कहा कि अब यह घोड़ा मैं आपको न दूंगा।

प्रश्न 4. प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

(1) बाबा भारती अपना समय कैसे बिताते थे?

उत्तर : बाबा भारती गाँव के बाहर एक छोटे-से मंदिर में रहते थे और भगवान का भजन करते थे। उन्होंने एक घोड़ा पाल रखा था जिसे वे ‘सुलतान’ कहकर । पुकारते थे। भगवान के भजन से जो समय बचता, उसे वे घोड़े की सेवा में लगाते थे। वे अपने हाथ से उसका खरहरा करते और उसे दाना खिलाते थे। संध्या समय वे सुलतान पर सवार होकर आठ-दस मील का चक्कर काटते थे। इस प्रकार बाबा भारती अपना समय बिताते थे।

(2) बाबा भारती को किसका डर लगने लगा? क्यों?

उत्तर : खड्गसिंह बाबा भारती के पास आकर उनके घोड़े सुलतान को देख गया था। ऐसा बाँका घोड़ा उसने आज तक नहीं देखा था। वह उसकी चाल पर मुग्ध हो गया था। जाते-जाते वह बाबा भारती से कह गया था कि वह सुलतान को उनके पास न रहने देगा। वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए, उस पर अपना अधिकार समझता था। उसके पास बाहुबल था। इसलिए बाबा भारती को खड्गसिंह का डर लगने लगा।

(3) खड्गसिंह ने सुलतान को कैसे प्राप्त किया?

उत्तर : एक दिन संध्या समय बाबा भारती सुलतान पर सवार होकर घूमने निकले। रास्ते में उन्होंने एक अपाहिज की करुणाभरी आवाज सुनी। उसने बाबा से घोड़े पर रामावाला गाँव पहुँचाने की प्रार्थना की। बाबा ने तरस खाकर उस अपाहिज को घोड़े पर बिठा लिया और स्वयं लगाम पकड़कर चलने लगे। सहसा उस अपाहिज ने झटका देकर बाबा भारती के हाथ से लगाम छीन ली और वह घोड़े को ले भागा। वह अपाहिज और कोई नहीं, डाकू खड्गसिंह ही था। इस प्रकार खड्गसिंह ने सुलतान को प्राप्त किया।

(4) घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती ने घोड़े से कैसा बर्ताव किया?

उत्तर : घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती के खुशी का ठिकाना न रहा। वे उसके गले से लिपटकर रोने लगे। वे बार-बार उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगें और उसके मुँह पर थपकियाँ देने लगे। घोड़े की वापसी पर संतोष प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा। इस प्रकार घोड़े को वापस आया देखकर बाबा भारती ने उससे वही बर्ताव किया जो एक पिता बहुत दिन से बिछुड़े हुए पुत्र के मिलने पर करता है।

प्रश्न 5. टिप्पणी लिखिए :

बाबा भारती की महानता

उत्तर : बाबा भारती एक सदाचारी संत थे। उनका हृदय विशाल था और उनके विचार ऊँचे थे। उनके हृदय में दीन-दुःखियों के प्रति अपार करुणा थी। दीन-दुखियों की सेवा करना वे अपना कर्तव्य समझते थे। उन्हें अपनी हानि की अपेक्षा गरीबों और दीन-दुखियों की हानि की अधिक चिंता थी। इसीलिए उन्होंने खड्गसिंह से घोड़े को छलपूर्वक लेने की बात किसीके सामने प्रकट न करने की प्रार्थना की। बाबा भारती के ऊँचे विचारों ने खड्गसिंह जैसे कुख्यात डाकू का हृदय-परिवर्तन कर दिया। अपनी हार को भी जीत में बदल लेनेवाले बाबा भारती सचमुच एक ऊँचे दर्जे के इंसान थे।

प्रश्न 6. दिए गए शब्दों के अर्थ से शब्द-पहेली पूर्ण कीजिए :

खड़ा

(1) इच्छा

(2) उद्देश्य

(3) अचानक

(4) दया

आड़ा

(1) बेचैन

(2) बड़ाई

(3) सत्य

(4) नभ

(5) नफरत

उत्तर :

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खड़ा

(1) अभिलाषा

(2) प्रयोजन

(3) सहसा

(4) करुणा

आड़ा

(1) अधीर

(2) प्रशंसा

(3) सच

(4) गगन

(5) घृणा

प्रश्न 7. दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए :

(1) सुंदर x असुंदर, कुरूप

वाक्य : उनके नौकर का चेहरा असुंदर (कुरूप) था।

(2) जमीन x आसमान

वाक्य : नीला आसमान देखकर यात्री खुश हो गए।

(3) संध्या X उषा

वाक्य : उषा की लालिमा दर्शनीय थी।

(4) गरीब x अमीर

वाक्य : वह जमींदार बहुत अमीर था।

(5) विश्वास x अविश्वास

वाक्य : सेठानी को नौकर पर अविश्वास था।

प्रश्न 8. दिए गए शब्दों में उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाइए :

(प्रति, निर्)

उत्तर :

(1) प्रति + दिन = प्रतिदिन

(2) निर् + आधार = निराधार

(3) निर् + मूल = निर्मूल

(4) प्रति + कूल = प्रतिकूल

(5) निर् + जल = निर्जल

(6) निर् + दोष = निर्दोष

प्रश्न 9. दिए गए शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाइए :

(इक, त्व)

उत्तर :

(1) मुख + इक = मौखिक

(2) मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व

(3) भूत + इक = भौतिक

(4) मम + त्व = ममत्व

(5) समाज + इक = सामाजिक

(6) सम + त्व = समत्व

प्रश्न 10. निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण पहचानकर उनका अन्य वाक्यों में प्रयोग कीजिए :

जैसे – खड्गसिंह इस इलाके का कुख्यात डाकू था।

विशेषण : कुख्यात

वाक्य : कुख्यात आदमी से लोग डरते हैं।

(1) कहते हैं, देखने में भी बड़ा सुंदर है।

विशेषण : सुंदर

वाक्य : मुंबई सुंदर शहर है।

(2) परंतु ऐसा बाँका घोड़ा उसकी आँखों से कभी न गुज़रा था।

विशेषण : बाँका

वाक्य : ऐसा बाँका जवान मैंने कभी नहीं देखा।

(3) बाबा भारती ने ठंड़े जल से स्नान किया।

विशेषण : ठंड़े

वाक्य : हमने गंगा नदी के ठंड़े जल में स्नान किया।

(4) अपने प्यारे घोड़े से लिपटकर रोने लगे।

विशेषण : प्यारे

वाक्य : पिताजी अपने प्यारे बेटे से लिपटकर रोने लगे।

(5) बाबा भरती प्रसिद्ध साधु थे।

विशेषण : प्रसिद्ध

वाक्य : सचिन तेंदुलकर प्रसिद्ध खिलाड़ी है।

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